नागपुर. मकर संक्रांति के पास आते ही शहर के अन्य स्थानों के साथ इतवारी स्थित खापरीपुरा में पतंगों की दूकानें सज गई हैं. जैसे-जैसे संक्रांति पास आ रही है वैसे-वैसे पतंग उड़ाने वालों की धूम बढ़ती जा रही है. इस धूम के साथ मांजे की डिमांड भी काफी तेज हो गई है. दूकानों में बरेली का मांजा तो सामने दिख जाएगा लेकिन नायलॉन मांजा सेटिंग से ही मिल रहा है. राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत नायलॉन मांजा के उपयोग और स्टोर पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बावजूद कुछ स्थानों पर अभी भी चोरी छुपे इसकी बिक्री की जा रही है. अभी जो पतंगें उड़ रही हैं उन्हें नायलॉन मांजे से ही उड़ाया जा रहा है. कटकर पतंग जब गिरती है तो उसमें नायलॉन मांजा नजर आता है जो पक्षियों के साथ-साथ लोगों के लिए खतरनाक है. इसके चलते कई दुर्घटनाएं होती हैं इसलिए प्रशासन को इसके लिए अभी से जांच अभियान शुरू करना चाहिए. ब्लैक में बेचे जाने के चलते इसके भाव भी 500 से 600 रुपये प्रति रील बताए जाते हैं. वहीं पतंगबाज बरेली की जगह इसे ही ज्यादा पसंद करते हैं. नायलॉन मांजे के चक्कर में स्थायी रूप से पतंग का व्यवसाय करने वाले नायलॉन मांजा की कालाबाजारी से परेशान हैं.
बंद किया जाना चाहिए कंपनियों को
एक पतंग व्यापारी बताते हैं कि अभी भी कुछ लोग नायलॉन मांजा ब्लैक में बेच रहे हैं. 200 रुपये वाला माल 500 से 600 रुपये में बेचा जाता है. वहीं बरेली के मांजे की डिमांड कम हो रही है. इसकी वजह से स्थायी दूकानदारों का धंधा मार खाता है. मकर संक्रांति में इतवारी में जनवरी से 60-70 से अधिक दूकानें लग जाती हैं लेकिन अभी कम दिन शेष होने के बावजूद भी व्यापार में अच्छा उठाव नहीं आया है. दिल्ली, नोएडा, औरंगाबाद में नायलॉन मांजा बनाने वाली पचासों कंपनियां हैं जिन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक पतंगें मार्केट में
बरेली का मांजा कच्चा होता है. इससे किसी तरह की दुर्घटना का डर नहीं रहता. लेकिन नायलॉन मांजा बहुत खतरनाक होता है. सरकार को इसकी फैक्टरियों पर ही बैन लगा देना चाहिए. इस समय पतंग कानपुर, कोलकाता और गुजरात से आ रही हैं. सरकार ने प्लास्टिक पतंगों पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन इसके बाद भी यह धड़ल्ले से मार्केट में बिक रही हैं. चक्री 100 से 600 रुपये और पतंग 4 से 40 रुपये तक की रेंज में बिक रही है. एक अन्य व्यापारी बताते हैं कि बहुत से ग्राहक आते हैं जो नायलॉन मांजा के बारे में पूछते हैं लेकिन हमारे द्वारा उन्हें बरेली के मांजे की तरफ कन्वर्ट किया जा रहा है. उन्हें बताया जा रहा है कि बरेली का मांजा पर्यावरण के साथ जनसुरक्षा की दृष्टि से अच्छा है. समझने वाले समझ जाते हैं और जो नहीं समझता वह आगे बढ़ जाता है. अभी पतंग का व्यापार पहले की तरह नहीं रह गया.