Nylon Manja
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    नागपुर. नायलॉन मांजा के कारण मकर संक्रांति के दौरान हुई कुछ घटनाओं पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट की ओर से इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकृत कर लिया. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत मित्र की ओर से बताया गया कि स्थानीय स्तर पर नायलॉन मांजा की खरीदी-बिक्री और उपयोग को लेकर भले ही अंकुश लगाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन ऑनलाइन पद्धति से इसकी उपलब्धता होने के कारण तमाम प्रयासों पर पानी फेर रहा है. अत: फेसबुक और इंडिया मार्ट को प्रतिवादी बनाने की स्वतंत्रता देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने प्रतिवादी बनाने के आदेश देते हुए नोटिस भी जारी किया. अदालत मित्र के रूप में अधि. देवेन चौहान, सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील डी.पी. ठाकरे, मनपा की ओर से जैमीनी कासट और अन्य प्रतिवादियों की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की.

    11 के पहले बैठक लें जिलाधिकारी

    अदालत ने आदेश में कहा कि नायलॉन मांजा पर रोकथाम के लिए क्या किया जा रहा है. इसका लेखाजोखा भी रखने के आदेश मनपा और अन्य प्रशासन को दिए. अदालत ने कहा कि अब मकर संक्रांति आने जा रही है. जिससे पतंगों और नायलॉन मांजा का बोलबाला होगा. ऐसे में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की 11 जनवरी के पूर्व बैठक हुई तो मामले को लेकर कई सार्थक उपाय हो सकेंगे. अदालत ने इस आदेश की जानकारी जिलाधिकारी को देने के आदेश भी सरकारी वकील को दिए.

    राज्य सरकार की ओर से 30 मार्च 2015 को मकर संक्रांति के दिन नायलॉन मांजा के उपयोग पर पाबंदी का आदेश जारी किया था. जिसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में वर्ष 2016 में याचिका दायर की गई थी. जिस पर हाई कोर्ट ने केवल एक दिन नहीं बल्कि पूरी तरह पाबंदी लगाने पर विचार करने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से 18 जून 2016 को पूरी तरह पाबंदी को लेकर आदेश जारी किए. सभी विभागीय आयुक्त, महानगर पालिका आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट, जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, एसपी और सूचना एवं प्रसारण विभाग के डीजी को निर्देश जारी किए गए थे.

    थोक विक्रेता भी बंद करें लेनदेन

    अदालत ने आदेश में कहा था कि पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव की ओर से नायलॉन मांजा के कारण होने वाली घटनाओं का हवाला देकर न केवल सरकारी विभाग बल्कि नायलॉन मांजा के थोक विक्रेताओं को भी समय से काफी पहले ही नायलॉन मांजा का लेन देन बंद करने के निर्देश दिए थे. चूंकि नायलॉन पूरी तरह खत्म होनेवाली वस्तु नहीं है, अत: पर्यावरण पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है. अत: लोगों में बड़े पैमाने पर इसकी जनजागृति आवश्यक होने की मंशा कोर्ट ने जताई थी. जिसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है क्या, इसकी संभावनाएं तलाशने के आदेश भी दिए थे.