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  • HC ने अदालत मित्र और प्रतिवादी पक्ष से मांगा सुझाव

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नागपुर. नायलॉन मांजा से हुई कई दुर्घटनाओं को लेकर छपी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट की ओर से इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था. याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान नायलॉन मांजा को लेकर सजा का प्रावधान नहीं होने का खुलासा अदालत के समक्ष किया गया. जिसके बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने सजा को लेकर नए दिशानिर्देश तय करने तथा राज्य सरकार को इसकी सिफारिश करने के उद्देश्य से विकल्प और नए प्रावधानों के लिए सुझाव देने के आदेश अदालत मित्र और प्रतिवादी पक्ष को दिए. अदालत मित्र के रूप में अधि. देवेन चौहान, सरकार की ओर से अधि. डी.पी. ठाकरे, मनपा की ओर से अधि. जैमीनी कासट, नगर परिषद की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की. 

महाराष्ट्र पुलिस एक्ट में भी प्रावधान

बुधवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रीबुनल तथा पर्यावरण कानून के अनुसार लादे गए प्रतिबंधों के बावजूद इसका उल्लंघन पाए जाने पर उचित जुर्माना लगाने तथा सजा निर्धारित करने का कोई कारगर प्रावधान उपलब्ध नहीं है. जिससे इस संदर्भ में उचित दिशानिर्देश जारी किया जाना जरूरी हो गया है. इंटरविनर की ओर से पैरवी कर रहे अधि. फिरदौस मिर्जा ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 113 के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है. यहां तक कि धारा 117 में अवैध रूप से पतंग उड़ाने के लिए सजा का प्रावधान भी दिया गया है. किंतु वर्तमान परिवेश में इस तरह के प्रावधानों को लागू करना काफी जटिल होने की मंशा जताई गई. 

गत वर्ष की तुलना में कड़ी निगरानी

गत सुनवाई के दौरान पर्यावरण व मौसम विभाग की ओर से एक अधिसूचना अदालत के समक्ष रखी गई. जिस पर अदालत ने कहा कि 15 दिसंबर को हाई कोर्ट की ओर से जो आदेश दिए गए, वह राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन राज्यभर में करने के थे. अदालत मित्र के साथ ही प्रतिवादी पक्ष की ओर से नायलॉन मांजा को लेकर इस वर्ष किए जा रहे उपायों को देखा जा रहा है. गत वर्ष की तुलना में निश्चित ही कड़ी निगरानी की जा रही है. जिसका हश्र यह हो रहा है कि पतंग उड़ाने के मौसम में नायलॉन मांजा का उपयोग कम ही दिखाई दे रहा है. सभी का मानना है कि अधिकारियों की ओर से उचित कदम उठाए जा रहे हैं.