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    • उद्यमियों के दल को सभागृह तक नहीं मिला

    नागपुर. मिहान को लेकर लड़ाई अब खुलकर सामने आ चुकी है. इस लड़ाई के बीच मिहान की बर्बादी की कहानी लिखी जा रही है. वरिष्ठ अधिकारी अपनी प्रतिष्ठा के चक्कर में मिहान की लुटिया लुटा रहे हैं न तो निवेशक की इन्हें चिंता है और न ही ये नए निवेशक आकर्षित करने के लिए किसी को कोई सेवा दे रहे हैं.  विकास आयुक्त की ओर से बुधवार को वेद टीम के लिए दौरे का इंतजाम किया गया था लेकिन एमएडीसी के अधिकारियों ने दल को सभागृह तक उपलब्ध नहीं कराया इससे तकरार साफ तौर पर देखने को मिला.

    दौरे में शामिल सदस्यों ने प्रमुख इकाइयों का दौरा किया. सभी इकाइयों में इन्हें एमएडीसी के खिलाफ भरपूर शिकायतें मिलीं जबकि सेज के अंदर डीसी कार्यालय के कार्यों की सराहना की गई. इसके बाद दल को यह आभास हो गया कि एमएडीसी के हाथों में रहते हुए मिहान का विकास नहीं हो सकता या फिर सक्षम अधिकारियों को लाना और मिहान को बचाना समय की मांग हो गई है. इसलिए अब वरिष्ठ अधिकारियों को पूरी तरह से बदलने तक की मांग जोर पकड़ चुकी है. मिहान को पिकनिक स्पाट न बनाकर अधिकारियों की जिम्मेदारी फिक्स करने तक की बात होने लगी है. 

    VCMD को हटाना जरूरी

    अब तक लोग इशारों में वीसीएमडी की कार्यप्रणाली का विरोध कर रहे थे लेकिन दौरे के बाद वेद के अध्यक्ष देवेंद्र पारेख का कहना है कि मिहान को बचाना है तो उपाध्यक्ष तथा  प्रबंध निदेशक को हटाना काफी अहम हो गया है. मिहान को ‘बिना मां-बाप का संतान’ बना दिया गया है. उनके पास नागपुर आने का टाइम नहीं है. ऐसे में मिहान पर काफी नाकारात्मक असर पड़ रहा है. पारेख ने कहा कि पिछले 3 माह से वीसीएमडी नागपुर नहीं आए हैं. बाद में फरवरी के पहले सप्ताह में आकर समस्याओं का निराकरण करने का आश्वासन दिया था. परंतु न तो वीसीएमडी का नागपुर दौरा हुआ और न ही समस्याओं का समाधान निकाला गया. इससे स्पष्ट हो गया है कि वरिष्ठ अधिकारी मिहान को लेकर गंभीर नहीं हैं और उन्हें हटाना जरूरी हो गया है. 

    सभागृह के ताले तक नहीं खोले

    विकास आयुक्त के सूत्रों ने बताया कि 30 लोगों के दल का दौरा था. डब्ल्यू बिल्डिंग के सभागृह को खोलने को कहा गया था लेकिन एमएडीसी की ओर से सभागृह का ताला तक नहीं खोला गया. इससे माहौल कुछ समय के लिए अचंभित करने वाला बन गया. किसी तरह विकास आयुक्त कार्यालय के लोगों ने इस परिस्थिति को संभाला. इस परिस्थिति में मिहान का नाम ही खराब हो रहा है. 

    नेतृत्व का अभाव, पावर नहीं

    आश्चर्य की बात यह है कि नागपुर में रिटायर्ड मुख्य अभियंता को सलाहकार के रूप में वर्षों से नियुक्त रखा गया है. कुछ भी पावर इस अधिकारी के पास नहीं है. हर चीज मुंबई से पूछा जाता है. इससे संशय उत्पन्न होता है कि आखिर ऐसे लोगों को वर्षों से कैसे पदों पर बनाये रखा गया है जो मिहान के विकास में बाधा बने हुए हैं. यंग और डायनमिक नेतृत्व की मांग काफी समय से उठ रही है परंतु कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. 

    होटल कल्चर को बढ़ावा

    ऐसे अधिकारियों की छत्रछाया में होटल कल्चर फलने फुलने लगा है. विपणन विभाग की अधिकांश मीटिंग अब ‘होटलों’ में देर रात तक सजने लगी है. इसके पूर्व हुई बैठक में भी उद्यमियों के दल ने इस प्रकार के सीधे आरोप लगाये थे और स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘दलालों के चुंगल’ में मिहान फंस चुका है. कुछ अधिकारी गैर जरूरी लोगों को जमीन बेच-बेच कर ‘बूटीबोरी’ बनाने पर तुल गए हैं. जमीन वापस नहीं ली जा रही है और मुद्दत को बढ़ाने का खेल खेला जा रहा है. इससे वास्तविक निवेशकों को समय पर जमीन नहीं मिल पा रही है.