Attempts to break Maharashtra started, opposition accused the government

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    नागपुर. राज्य की शिंदे सरकार ने शीत सत्र अधिवेशन में सिर्फ घोषणाओं की बारिश करके किसानों, कामगारों और बेरोजगारों के विषय में केवल खानापूर्ति की. यह आरोप विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, सुनील केदार, सुनील प्रभू ने लगाया. अधिवेशन की समाप्ति के बाद विपक्ष ने सत्तापक्ष पर करारे तंज कसे.

    उन्होंने कहा कि सरकार हर विषय पर असफल है. हमने घोटालों के सबूत दिये. इस्तीफे की मांग के लिए सभागृह के भीतर और बाहर संघर्ष किया लेकिन बेशर्म सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. महापुरुषों के अपमान करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग के साथ ध्यानाकर्षण किया लेकिन उन्होंने एक शब्द नहीं कहा. सीमा विवाद पर कड़ा संदेश देने वाला प्रस्ताव नहीं दिया गया. मानसून और शीत सत्र अधिवेशन में 78,000 करोड़ की पूरक मांगे रखी. यह सरकार के वित्तीय अनुशासन को तोड़ने का एक रूप है. बदकिस्मती से बहुमत होने से ये मंजूर भी हो गई. 

    हर विषय पर असफल

    उन्होंने कहा कि अंतिम सप्ताह का प्रस्ताव महत्वपूर्ण होता है लेकिन मुख्यमंत्री ने उत्तर देते समय मानसून अधिवेशन का जवाब ही शीत सत्र में दोहराया दिया. मुख्यमंत्री सभागृह में भी जनसभा की तरह जवाब देते हैं. समाचार पत्रों द्वारा की गई आलोचनाएं, जिन्हें सदन में प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, वह भी प्रस्तुत की जा रही हैं. विधायक और पार्टी देखकर नेताओं को सुरक्षा दी जा रही है. शिंदे गुट के 30 से 35 विधायकों को वाई प्लस सुरक्षा दी जा रही है. एक वाई प्लस श्रेणी सुरक्षा पर हर महीने २० लाख रुपये का खर्च होता है. यानी एक वर्ष में 2.40 करोड़ रुपये का खर्च तो फिर इसकी जरूरत क्यों है. 

    महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा कलंकित: पटोले

    पटोले ने कहा कि भाजपा के नेता जन प्रतिनिधियों को करोड़ों में खरीदने की भाषा बोलते हैं. यह महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को कलंकित करने जैसा है. विधानसभा अध्यक्ष का काम बीजेपी का दफ्तर चलाने जैसा था. उन्होंने विपक्ष की गर्दन दबाकर रखी थी. इसलिए उन पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. इस सरकार बहुत अपशगुनी है. सत्ता में आते ही अतिवृष्टि के कारण बाढ़ के हालात बन गये. किसानों को कुछ नहीं मिला. इसके उलट उन्हें 5 रुपये और 10 रुपये के चेक दिये गये. सरकार मदद का दिखाया करती है. यह केवल आंकड़ों की हेराफेरी है. मुट्ठीभर उद्योगपतियों के लिए फसल बीमा योजना शुरू की गई है. 

    दिल्ली के इशारों पर छीने जा रहे प्रोजेक्ट

    उन्होंने कहा कि सुरजागड़ प्रकल्प भिलाई स्टील प्लांट से बढ़ा हो सकता है लेकिन सरकार ने योग्य तरीके से काम नहीं किया. गड़चिरोली की खनिज संपदा को देखते हए 1 लाख रोजगार दिलाने की बात कहकर राज्य के विकास दावे किये गये थे लेकिन दिल्ली के इशारे पर सुरजागड़ में चुनिंदा उद्योगपतियों का लाया जा रहा है. 75,000 नौकरी देने का वादा किया था. पुलिस भर्ती का विज्ञापन दिया लेकिन फिर स्टे लगा दिया गया. अब ऑनलाइन आवेदन बुलाये जा रहे हैं. इससे युवाओं का समय खराब हो रहा है. एमवीए चाहती है कि एमपीएससी परीक्षा पुराने सिलेबस से ली जाये. वर्ष 2025 के बाद नये सिलेबस से परीक्षा हो. 

    विदर्भ से छीने जा रहे प्रोजेक्ट

    पटोले ने कहा कि राज्य में 44,000 करोड़ का निवेश होना है. इनमें से 25,000 करोड़ विदर्भ में है लेकिन टाटाएअर बस प्रोजेक्ट नागपुर में आना था लेकिन वह भी अन्य राज्य पहुंचा दिया गया. मिहान में जगह बांट दी गई लेकिन वहां उद्योग शुरू नहीं हो रहे जो शुरू हैं, वे भी बाहर भेजे जा रहे हैं. अधिवेशन में 150 से 200 करोड़ का खर्च होता है. इस खर्च में से विदर्भ के लिए कोई अच्छी योजना चलानी चाहिए.