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    • ‘परख’ का गठन, एक समान व्यवस्था की दिशा में कदम 

    नागपुर. नीट, जेईई, सीयूईटी के बाद अब स्टेट बोर्ड की परीक्षाओं में भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. इसके लिए ‘परख’ नामक परीक्षा नियामक संस्था की स्थापना की गई है. इसका उद्देश्य देशभर में बोर्ड की परीक्षाओं में समानता की दिशा में कदम बढ़ाना है. 10वीं व 12वीं स्तर पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने के लिए एक समान प्रारूप तैयार किया जाएगा. फिलहाल सीबीएसई और आईसीएसई के अलावा देशभर में सभी राज्यों में बोर्ड की परीक्षाओं का अपना अलग पैटर्न है. इस वजह से अंकों के औसत में भी फर्क बढ़ता है. इस वजह से छात्रों के मूल्यांकन पर भी असर पड़ता है.

    बोर्ड की परीक्षा एक समान करने का केंद्र सरकार का विचार पिछले कुछ महीनों से शुरू है. राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राज्यों के राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषदों के साथ अब तक कई बैठकें भी की हैं. इन बैठकों के परिणाम स्वरूप ही नया मूल्यांकन नियामक तैयार किया जा रहा है.

    नई शिक्षा नीति का हिस्सा 

    ‘परख’ यानी परफॉर्मेंस असेसमेंट रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट है. यह संस्था एनसीईआरटी के एक भाग के रूप में काम करेगी. नेशनल अचिवमेंट सर्वे यानी नैस और स्टेट अचिवमेंट सर्वे (सेस) आयोजित करने की जिम्मेदारी परख की होगी. दरअसल ‘परख’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ही एक हिस्सा है. ‘परख’ में देशभर के सभी मान्यताप्राप्त स्कूलों को समान नियम, मापदंड, मार्गदर्शक तत्व तैयार किए जाएंगे. 

    मूल्यांकन का तरीका इस तरह रखा जाएगा कि विद्यार्थियों में 21वीं सदी की आवश्यकता के अनुसार कौशल विकास किया जा सके. प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्यों के साथ हुई चर्चा में वर्ष में 2 बार बोर्ड की परीक्षा ली जाए, ताकि छात्रों को अपना प्रदर्शन बेहतर बनाने का अवसर मिल सके, साथ ही मैथ्स में 2 तरह के पेपर देने को भी मान्य किया गया है. एक स्तरीय और दूसरा उच्च स्तरीय गणित होगा. इससे छात्रों में गणित को लेकर ‘भय’भी कम होगा.