मणिपुर घटना का जिप में निषेध, भाजपा सरकार के निषेध प्रस्ताव का हुआ विरोध

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नागपुर. मणिपुर में महिलाओं के साथ किये गए अत्याचार व हत्या की शर्मसार करने वाली घटना से जहां पूरा देश दुखी व आक्रोशित है वहीं जिला परिषद की सभा में भी निषेध के स्वर उठे. गोंगपा जिप सदस्य हरीश उईके ने आदिवासी समाज की महिलाओं के साथ हुई इस घटना के लिए मणिपुर व केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ निषेध प्रस्ताव पारित करने की मांग की. उनके प्रस्ताव पर सत्तापक्ष की महिला सदस्य भी उठ खड़ी हुईं लेकिन विरोधी पक्ष नेता आतिश उमरे ने कहा कि मणिपुर की घटना का सभी निषेध करते हैं.

महिलाओं के मान-सम्मान पर आंच आने वाली हर घटना का विरोध करते हैं लेकिन किसी सरकार का निषेध उचित नहीं है क्योंकि सभी सरकारों के कार्यकाल में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं. इस पर शांता कुमरे ने भड़क उठीं. उन्होंने कहा कि आदिवासी महिलाओं पर अत्याचार के लिए सरकार जिम्मेदार है. आदिवासी समाज मातृशक्ति को सर्वोपरि मानता है. उन पर हुए अत्याचार के लिए मैं भाजपा सरकार का निषेध करती हूं. 

यह राजनीतिक निषेध नहीं

उमरे ने कहा कि घटना का निषेध होना ही चाहिए लेकिन आज उसी समाज की राज्यपाल वहां हैं. आदिवासी समाज से ही महामहिम राष्ट्रपति के पद पर द्रौपदी मुर्मू हैं. सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. गिरफ्तारियां हो रही हैं. दूधाराम सव्वालाखे ने सवाल किया कि मणिपुर जल रहा है लेकिन बीजेपी का कौन सा नेता और मंत्री वहां गए यह बताएं.

मध्य प्रदेश में आदिवासियों के अपमान की 3 घटनाएं हो चुकी हैं. उज्ज्वला बोढारे ने कहा कि उनके सहित सभी महिला सदस्य कुमरे का समर्थन करती हैं. किसी पार्टी का सवाल नहीं है. महिला समाज का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. यह राजनीतिक निषेध नहीं है बल्कि महिलाओं के मान-सम्मान का सवाल है. पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे ने कहा कि बिना किसी राजनीतिक पार्टी का उल्लेख करते हुए दुर्भाग्य जनक घटना का विरोध करना चाहिए.