nashik-accident-chalisgaon-nandgaon-road-accident-farmer-died-on-the-spot
File Photo

    Loading

    • 283 की गई जान
    • 1,063 हुए जख्मी 

    नागपुर. कहीं किसी इलाके में अपराधी की हत्या हो जाए तो शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो जाते हैं लेकिन सिटी में गैंगवार से बड़ी मुसीबत रैश ड्राइविंग हो गई है. लोग इतने लापरवाह है कि न तो अपनी जान की परवाह करते हैं और न दूसरों की. यही कारण है कि सिटी में रैश ड्राइविंग के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. 9 दिनों के भीतर 7 लोगों को जान गंवानी पड़ी. गैंगवार में तो फिर भी रंजिश होती है लेकिन दुर्घटनाओं में तो निरपराध लोगों की जानें जा रही हैं. इस पर लगाम कैसे लगेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है. इस वर्ष नवंबर महीने तक 283 लोगों की दुर्घटना में जान गई. 1,063 लोग जख्मी हुए.

    इससे सिटी की यातायात व्यवस्था का अनुमान लगाया जा सकता है. सबसे बड़ा संकट यातायात संबंधी कानून के अनुपालन का है. गाड़ियों में सेफ्टी फीचर्स कितने भी हों, अगर सड़क पर चलने का तौर-तरीका नहीं बदलेगा, यातायात के नियमों का पालन नहीं होगा और सड़कों की हालत नहीं सुधरेगी तो दुर्घटनाएं कम कर पाना संभव नहीं है. लोग सड़कों पर ऐसे वाहन लेकर दौड़ रहे हैं कि मानों कोई रेस चल रही हो. यातायात नियमों को दरकिनार करके लोगों की जान लेने वाले इन वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. वैसे तो दुर्घटनाओं के लेकर बने कानून इतने कमजोर है कि हादसे के बाद आरोपी वाहन चालक को थाने से ही बेल मिल सकती है. 

    सख्त कदम उठाने की जरूरत

    सबसे पहले तो पुलिस को ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि सिटी में दुर्घटनाएं ही न हो. नियमों का पालन सुनिश्चित कराने से ही इन घटनाओं को रोका जा सकता है. दुर्घटना रोकना केवल वाहन चालक के ही हाथ में होता है लेकिन जब तक सख्ती नहीं बरती जाएगी वाहन चालक सुधरेंगे नहीं. सड़क हादसों को रोकना है तो पुलिस को कुछ जरूरी सुधार करने होंगे जो यातायात नियम हैं, वे काफी सख्त हैं लेकिन उतनी सख्ती से उनका पालन नहीं करवाया जा रहा है. रैश ड्राइविंग पर सख्ती से लगाम लगाने की जरूरत है. शहरभर में 3,500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. इन कैमरों की मदद से रैश ड्राइविंग करने वालों पर नजर रखी जा सकती है. 

    सबसे ज्यादा पैदल चलने वाले शिकार

    सड़क पर पैदल चलने वाले और दोपहिया वाहन सवार ही सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. उनकी सुरक्षा तो यातायात नियमों के पालन से ही सुनिश्चित की जा सकती है. वाहनों की रफ्तार पर भी लगाम लगाने की जरूरत है. तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने वाले लोग जब यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं तो यह उनके साथ ही सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के लिए भी जान लेवा साबित होता है. सिस्टम में खामी से बहुत से लोगों का बिना टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है. ऐसे लोग जब सड़क पर वाहन चलाते हैं तो न अपनी जान की परवाह करते हैं और न दूसरों की. 

    25 दिसंबर : गिट्टीखदान थानांतर्ग सीपीडब्लूडी क्वार्टर के पास राकेश वालदे(30) और विष्णु बिरोले (39) तेज रफ्तार होने के कारण सीधे बाइक सीधे पेड़ से भिड़ गई. वहीं विष्णु की मौत हो गई. स्पीड जानलेवा साबित हुई. 

    26 दिसंबर : बेलतरोड़ी थानांतर्गत नरेंद्रनगर परिसर में 14 वर्ष के बालक ने लापरवाही से कार चलाते हुए स्नेहा टेंभुर्णे नामक महिला को उड़ा दिया. दूसरे वाहन को भी टक्कर मारी. 14 वर्ष का बालक कार चला रहा था यह ताजूब की बात है.  

    26 दिसंबर : यशोधरानगर थानांतर्गत ईंट भट्टी चौक के समीप एक ट्रैक्टर चालक ने रास्ता पार कर रहे व्यक्ति को उड़ा दिया. मौके पर ही जख्मी व्यक्ति ने दम तोड़ दिया. 

    29 दिसंबर : गणेशपेठ थानांतर्गत कॉटन मार्केट परिसर में हिमांशु राइकवार (23) इतनी स्पीड गाड़ी चला रहा था कि नियंत्रण छूट गया. बाइक स्लिप हो गई और हादसे में हिमांशु की मौत हो गई. 

    29 दिसंबर : पांचपावली थानांतर्गत पंचशीलनगर चौक पर घर से टहलने निकले दामोधर मेश्राम (60) नामक वृद्ध को ऑटो चालक ने टक्कर मार दी. बुरी तरह जख्मी दामोधर की दूसरे दिन उपचार के दौरान मौत हो गई. 

    1 जनवरी : कलमना थानांतर्गत चिखली पुलिया पर दोपहिया पर ट्रिपल सीट सवार युवकों ने एक दंपति की बाइक को टक्कर मार दी. हादसे में नलीनी गावंडे नामक महिला की मौत हो गई. बाइक सवार भाग निकले. 

    2 जनवरी : प्रतापनगर थानांतर्गत सुभाषनगर मेट्रो स्टेशन के पास अज्ञात कार चालक ने दोपहिया वाहन पर काम से घर लौट रहे चंद्रशेखर मिरचे को पीछे से टक्कर मार दी और फरार हो गया. उपचार मिलने से पहले उन्होंने दम तोड़ दिया.