Nagpur High Court
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नागपुर. राशन दूकानों के लाइसेंस रद्द करने के खाद्यान आपूर्ति मंत्रालय तथा सचिव की ओर से 27 फरवरी 2023 को जारी किए गए आदेशों को चुनौती देते हुए 5 राशन दूकानदारों की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने किसी भी तरह की राहत देने से साफ इनकार कर याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. बोरकर और राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील धुमाले ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि खाद्यान आपूर्ति में योगेश गौतम द्वारा धांधली किए जाने का हवाला देते हुए जिला आपूर्ति अधिकारी की ओर से 23 जुलाई 2020 को आवंटित लाइसेंस रद्द कर दिया था. जिसे मंत्रालय में विभाग सचिव के पास अपील दायर की गई. किंतु अपील में जिला आपूर्ति अधिकारी के आदेश को यथायोग्य करार देते हुए 27 फरवरी को विभाग सचिव ने भी आदेश पर मुहर लगा दी.

उपायुक्त ने रद्द कर दिया था आदेश

उल्लेखनीय है कि जिला आपूर्ति अधिकारी की ओर से 23 जुलाई 2020 को लाइसेंस रद्द करने के आदेश दिए थे. जिसे चुनौती देते हुए राशन दूकानदारों की ओर से आपूर्ति विभाग के उपायुक्त के पास अपील दायर की गई. अपील पर 12 दिसंबर 2020 को आदेश जारी कर उपायुक्त ने जिला आपूर्ति के आदेश में किसी भी तरह के तथ्य नहीं होने का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था. आपूर्ति उपायुक्त के आदेश को भी मंत्रालय में चुनौती दी गई. हाई कोर्ट की ओर से उपायुक्त के आदेश को भी खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील को जिला आपूर्ति अधिकारी और उपायुक्त के आदेश में दिए गए तथ्यों को उजागर करने को कहा गया. किंतु किसी भी तरह के तथ्य उजागर नहीं किए जा सके. 

दखलअंदाजी से इनकार

हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि 23 जुलाई 2020 को जिला आपूर्ति अधिकारी की ओर से जो आदेश दिए गए, उसमें योगेश गौतम के खिलाफ ग्राम पंचायत द्वारा पारित प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है. आदेश में जिला आपूर्ति अधिकारी ने कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया कि कोई आरोप निश्चित किए गए. इसी तरह से उपायुक्त की ओर से भी केवल जिला आपूर्ति अधिकारी के आदेश का ही पालन किया गया है. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि जिला आपूर्ति अधिकारी और उपायुक्त के आदेशों में कोई भी विशेष कारण का उल्लेख नहीं होने के कारण इसमें दखलअंदाजी करने का कोई औचित्य ही नहीं है. अत: हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.