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    नागपुर. मनपा चुनाव को लेकर बढ़तीं सरगर्मियों के बीच अब राज्य चुनाव आयोग की ओर से 6 जनवरी तक ही संशोधित प्रभाग रचना का प्रारूप मंगाए जाने से राजनीतिक हलचलें भी तेज हो गई हैं. राज्य चुनाव आयोग की ओर से ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर प्रभाग रचना और आरक्षण की प्रक्रिया में कुछ सुधार किए गए. 3 सदस्यीय प्रभाग पद्धति के अनुसार अब प्रत्येक प्रभाग में सर्व साधारण महिला वर्ग के लिए एक वार्ड आरक्षित रखने की हिदायत सभी महानगर पालिका के आयुक्तों को जारी की गई.

    इसी नियम के आधार पर आरक्षण की लाटरी निकाली जाएगी. इसके पूर्व चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार महानगर पालिकाओं द्वारा कच्चा प्रारूप भेजा गया था. जिन 13 महानगर पालिकाओं में निकट भविष्य में चुनाव होने जा रहे हैं उनके भेजे गए प्रारूप पर बैठक ली गई थी जिसमें कुछ सुधार सुझाए गए थे. किस तरह से प्रभाग रचना के प्रारूप में आरक्षण निर्धारित किया जाए, इसे लेकर स्पष्ट निर्देश सभी आयुक्त को दिए गए हैं.

    पार्षदों की बढ़ गईं धड़कनें

    सूत्रों के अनुसार राज्य चुनाव आयोग की ओर से अब केवल 3 दिनों में ही प्रभाग रचना का संशोधित प्रारूप मंगाए जाने से पार्षदों की धड़कने तेज हो गई हैं. भले ही राजनीतिक दल चुनाव के लिए तैयार होने का हवाला दे रहे हों लेकिन आरक्षण निर्धारित होने तक कोई भी दल खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. माना जा रहा है कि वर्तमान की 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति बदलकर 3 सदस्यीय किए जाने के लगभग सभी प्रभागों की संरचना बदल गई है. वर्तमान प्रभाग रचना में से जहां कई बस्तियां निकाली गईं वहीं कई प्रभागों में नई बस्तियों को जोड़ा गया है. इसके अलावा प्रभाग में मतदाताओं की संख्या पर भी असर पड़ने जा रहा है. यही कारण है कि गत 5 वर्षों तक किए गए विकास कार्यों के बावजूद प्रभाग का कौन सा हिस्सा दावेदारी वाले प्रभाग से छूट रहा है, इसे लेकर पार्षदों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं. 

    समय पर भी हो सकते हैं चुनाव

    जानकारों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के चलते ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण फिलहाल खतरे में आ गया है. इसे लेकर भले ही राजनीति चरम पर हो लेकिन चुनाव आयोग के इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश है. इसके अनुसार ओबीसी के आरक्षण वाले सभी वार्ड अब खुले वर्ग के रूप में चिन्हांकित होंगे. राजनीतिक दलों को निर्धारित करना है कि इन वार्डों में किसे प्रतिनिधित्व दिया जाए. राज्य चुनाव आयोग की ओर से लगातार जारी किए जा रहे निर्देशों को देखते हुए समय पर भी चुनाव होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारों के अनुसार राज्य में कोरोना का प्रकोप लगातार फैलता जा रहा है. इसके अलावा फरवरी से ही 10वीं और 12वीं कक्षाओं की परिक्षाएं भी शुरू होने जा रही हैं. इन दोनों में स्थिति सामान्य रही तो समय पर ही चुनाव हो सकेंगे अन्यथा 15-20 दिन के लिए चुनाव टल सकते हैं.