नागपुर. पर्यावरण संरक्षण कानून-1986 के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार राज्य सरकार ने रेत घाट नीलामी की नीति में परिवर्तन किया. इसे चुनौती देते हुए नीलामी में हिस्सा लेने की इच्छुक कुछ कम्पनियों और लोगों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कुछ समय देने का अनुरोध किया गया, जबकि राज्य सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया.
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने 29 मार्च तक याचिकाकर्ताओं से संबंधित घाटों की नीलामी आगे बढ़ाने के आदेश दिए. साथ ही जिन घाटों को पर्यावरण विभाग की मंजूरी मिली है उनकी नीलामी को लेकर टेंडर प्रक्रिया जारी रखने की स्वतंत्रता भी प्रदान की. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर, अधि. देवेन चौहान, अधि. विश्वास कुकडे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एनएस राव ने पैरवी की.
पर्यावरण की मंजूरी के बिना नहीं होता था उत्खनन
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों का मानना था कि 3 सितंबर 2019 की रेत घाट नीति के अनुसार जहां से रेत का उत्खनन निर्धारित किया जाता था, उस परिसर पर उत्खनन से पड़ने वाले पर्यावरणीय परिणामों का सर्वे किया जाता था. यहां तक कि जब तक पर्यावरण मंत्रालय की ओर से मंजूरी नहीं दी जाती है तब तक उत्खनन नहीं होता था. उस समय की नीति के अनुसार रेत घाट के उत्खनन के लिए जो भी अधिकारी पर्यावरण विभाग के संबंधित अधिकारी के समक्ष प्रस्ताव रखता था उसे ही प्रकल्प प्रस्तावक मानकर अधिकारी के नाम पर पर्यावरण संबंधी मंजूरी प्रदान की जाती थी.
अब ठेकेदार कम्पनी को लेना है मंजूरी
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने कहा कि 28 जनवरी 2022 को नई रेत घाट नीलामी नीति घोषित की गई जिसके अनुसार पर्यावरण संबंधी की मंजूरी के बिना ही नीलामी प्रक्रिया करने तथा नीलामी में रेत घाट लेने वाले ठेकेदार को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के लिए आवेदन करने की शर्त रखी गई है.
पर्यावरण मंत्रालय के 15 जनवरी 2016 के नोटिफिकेशन के अनुसार प्रकल्प प्रस्तावक को पर्यावरण संबंधी मंजूरी लेना था. लीज धारकों को प्रकल्प प्रस्तावक नहीं माना जा सकता है. ऐसे में यदि इस आधार पर पर्यावरण संबंधी मंजूरी नकार दी गई तो कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील की ओर से बताया गया कि अदालत में चल रही सुनवाई के कारण समय-समय पर नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है. इसके बाद अदालत ने 28 मार्च तक सुनवाई स्थगित कर दी. साथ ही 29 मार्च तक के लिए नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा दी.