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नागपुर. जिला व सत्र न्यायाधीश सलमान आजमी की कोर्ट ने वर्ष 2016 में दर्ज संकेत आष्टनकर अपहरण मामले में 4 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं 3 आरोपियों को सबूतों के अभाव में निर्दोष बरी  किया गया. दोषियों में मुकेश तायवाडे, ईशाक शेख, दुर्वास कोहाड और तय्यूब शेख शामिल हैं, जबकि प्रभाकर खोब्रागडे, प्रदीप निनावे और रशीद दीवान को निर्दोष करार दिया गया. मुकेश उक्त मामले समेत अन्य 6 धाराओं में भी दोषी पाया गया. 

क्या है मामला

ज्ञात हो कि थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, 7 जनवरी 2016 को दोपहर करीब 2.30 बजे आरोपियों ने 14 वर्षीय स्कूली छात्र संकेत (बदला हुआ नाम) के अपहरण की साजिश रची और वारदात को अंजाम दिया. इस समय संकेत अपने दोस्त संतोष (बदला हुआ नाम) के साथ स्कूल बस से उतरकर पैदल ही घर जा रहा था. दुर्वास और मुकेश भी पैदल ही उनका पीछा कर रहे थे. नवनीत डेकोरेशन के पास से गुजरते समय ईशाक शेख वैन लेकर वहां पहुंचा और संकेत के ठीक बगल में खड़ी कर दी. दुर्वास और मुकेश ने तुरंत ही जबरन संकेत को उठाकर वैन में बैठाने का प्रयास किया. वैन में पहले से सवार तय्यूब ने संकेत को भीतर खींच लिया और चारों आरोपी उसे लेकर फरार हो गये. इसके बाद वे संकेत को खापा स्थित रशीद के घर बडेगांव ले गये. वहां उसे कैद करके रखा. फिर संकेत की मां को कॉल करके 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी. फिरौती न दिये जाने पर युग चांडक अपहरण और हत्याकांड की तरह अंजाम भुगतने की धमकी दी. 

सोनेगांव में दर्ज हुआ मामला

उधर, संतोष भी संकेत के परिवार को अपरहण की जानकारी दे चुका था. ऐसे में संकेत के पिता ने तुरंत सोनेगांव पुलिस को सूचना दी. अपहरण का मामला दर्ज होने से पुलिस ने तेजी से काम किया और 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया और संकेत को सकुशल बचा लिया. चार्जशीट फाइल होने के बाद पुलिस की ओर से 21 गवाह पेश किए गए. साथ ही संकेत और संतोष के बयानों की सत्यता और अन्य सबूतों के आधार पर कोर्ट ने 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि 3 को निर्दोष बरी कर दिया.

दोषियों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी ठोका. अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील एड. अभय जिचकार ने पैरवी की. मामले की जांच एसीपी शेखर तोरे ने की और कोर्ट में चार्जशीट फाइल की. एपीआई अनिल मांगलकर के साथ मिलिंद मुले, मधुकर ने कोर्ट का कामकाज देखा. अभियोजन पक्ष की ओर से एड. अभय जिचकार जबकि बचाव पक्ष की ओर से एड. जलतारे, चेतन ठाकुर और अनिल समुद्रे ने पैरवी की.