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    • 05 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस
    • 67 लाख का बिना खरीदी कर दिया भुगतान

    नागपुर. महानगरपालिका के लिए भले ही घोटाले कोई नई बात न हो किंतु अब जो नया कारनामा उजागर हुआ उसने प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मनपा ने बिना सामान खरीदी किए ही कंपनियों (एजेंसियों) को भुगतान तक कर दिया. पूरे मामले में मनपा के कई बड़े अधिकारी भी घेरे में  हैं. मामला उजागर होते ही अब आनन-फानन में न केवल 5 एजेंसियों के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई, बल्कि 5 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है. सूत्रों के अनुसार किसी भी तरह की स्टेशनरी और सामग्री खरीदी न कर अधिकारियों के बोगस हस्ताक्षर और उनके कम्प्यूटर के पासवर्ड का दुरुपयोग कर 67 लाख का बिल निकाला गया है. 

    वित्त अधिकारी की कार्यप्रणाली पर संदेह

    सूत्रों के अनुसार मनपा में ठेकेदार अपने बकाया को लेकर लगातार प्रदर्शन करते रहे है. यहां तक कि 1-1 वर्ष तक ठेकेदारों को बिल अदा नहीं किए गए. इसके लिए वित्त अधिकारी द्वारा हमेशा ही मनपा की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला दिया गया, जबकि कई बार विभाग में बिल नहीं आने का कारण उजागर किया गया. किंतु इस मामले में वित्त व लेखा विभाग ने किसी भी तरह की पूछताछ या जांच न कर 67 लाख रु. का चेक संबंधित एजेंसी को दे दिया. इसके अलावा संबंधित अधिकारियों द्वारा भी जांच क्यों नहीं कराई गई? यह भी खोजबीन का विषय बन गया है. बहरहाल समय पर मामला उजागर होते ही वित्त व लेखा अधिकारी, सहायक आयुक्त सहित कुल 5 अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है. 

    इन 5 एजेंसियों हैं दर करार

    -सुदर्शन कंपनी

    -मनोहर साकोरे एंड कंपनी

    -स्वस्तिक ट्रेड लिंक

    -गुरुकृपा स्टेशनरी

    -एसके एंटरप्राइजेस

    सभी एजेंसियों के मालिक एक ही परिवार से

    सूत्रों के अनुसार मनपा ने स्टेशनरी आदि की खरीदी के लिए 5 एजेंसियों के साथ दर करार कर रखा है जिसके आधार पर  आवश्यकता के अनुसार इन कंपनियों से सामग्री खरीदी जाती है. इसके बाद बिल अदा किया जाता है. नियमित रूप से स्टेशनरी खरीदी होने के कारण एजेंसी के मालिक का विभाग के साथ अच्छा ट्यूनिंग हो गया. इसी का लाभ उठाकर क्लर्क से साठगांठ कर 67 लाख रु. खरीदी के झूठे बिल तैयार किए. आश्चर्यजनक यह है कि इन पांचों एजेंसियों के मालिक एक ही परिवार से हैं. स्वास्थ्य विभाग के लिए दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक स्टेशनरी, प्रिंटिंग सामग्री की खरीदी दिखाई गई. खरीदी के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त के हस्ताक्षर कर बोगस मंजूरी ली गई. इसके बाद 67 लाख का बिल वित्त विभाग को प्रेषित किया गया. आश्चर्यजनक यह था कि मुख्य वित्त व लेखा अधिकारी विजय कोल्हे ने बिल की जांच किए बिना ही चेक अदा कर दिया.

    एजेंसी से 67 लाख वसूल

    अति. आयुक्त राम जोशी ने कहा कि एजेंसी से 67 लाख रु. वसूल किए गए हैं. सदर पुलिस थाना में पांचों एजेंसियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. पांचों एजेंसियां एक ही परिवार के सदस्यों की हैं जिससे परिवार सकते में है. 

    इन अधिकारियों को नोटिस

    मामले में मुख्य वित्त व लेखा अधिकारी विजय कोल्हे, ऑडिटर अफाक अहमद, अकाउंट ऑफिसर मेश्राम, सामान्य प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त महेश धामेचा और क्लर्क मोहन पडवंशी को नोटिस जारी किया गया है.