राज्य में हुई हिंसा को देखते नागपुर में लगाया गया धारा 144, 5000 पुलिसकर्मी तैनात

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    • सोशल मीडिया की हर गतिविधि पर नजर
    • शहर में धारा 144 लागू  
    • 5000 पुलिसकर्मी तैनात
    • 6 राज्य कंट्रोल प्लाटून
    • 5 क्विक रिस्पांस टीम

    नागपुर. त्रिपुरा में मुस्लिम धर्मगुरुओं के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर राज्य के कुछ शहरों में हिंसा हुई है. इसके विरोध में इस्लामिक आर्गनाइजेशन, रजा अकादमी, अलहज मोहम्मद सैयद नूरी और कुछ संगठनों ने 12 नवंबर को महाराष्ट्र बंद की घोषणा की थी जिसके बाद नांदेड़, अमरावती, मालेगांव, पुसद और कारंजा में पत्थरबाजी और आगजनी हुई. 13 नवंबर को अमरावती में भीड़ अनियंत्रित हो गई और जमकर हिंसा हुई. इसे ध्यान में रख नागपुर पुलिस भी हाई अलर्ट मोड पर है. सोशल मीडिया की हर गतिविधि पर पुलिस की नजर है. इसके साथ ही शहर में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.

    रविवार को ज्वाइंट सीपी अस्वती दोरजे ने शहर में धारा 144 (1) लागू करने के आदेश जारी किए. मेडिकल एमरजेंसी के अलावा कहीं भी 5 और 5 से ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते. लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि जातीय द्वेष निर्माण करने वाला कोई वक्तव्य न करें. अफवाह पैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस की अनुमति के बगैर कहीं भी कोई धरना, आंदोलन, रैली या विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. आदेशों की अवहेलना करने वालों पर धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी. रविवार की रात 12 बजे से अगले आदेश तक सख्ती लागू रहेगी. 

    पूरे शहर में किया फ्लैग मार्च 

    शहर में किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो इसके लिए पुलिस विभाग ने कमर कस ली है. शहर के सभी इलाकों में पुलिस द्वारा फ्लैग मार्च किया जा रहा है. पब्लिक अनांउसमेंट सिस्टम के जरिए नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है. सभी उपायुक्तों को अपने जोन के संवेदनशील इलाकों की पहचान कर पर्याप्त बंदोबस्त लगाने के आदेश दिए गए हैं. 31 संवेदनशील स्थानों पर शनिवार से ही पुलिस डटी हुई है. साइबर सेल और खुफिया विभाग को अधिक सतर्क रहने को कहा गया है.

    सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले सभी मैसेज और वीडियो पर नजर रखी जा रही है. कौनसा मैसेज कहां से आ रहा है इसका पता लगाया जा रहा है. नागरिकों से भी बिना सोचे-समझे कोई भी मैसेज फारवर्ड न करने की अपील की गई है. थानेदारों को अपने इलाके में पेट्रोलिंग बढ़ाने के आदेश दिए गए है. पूर्व में जातीय हिंसा फैलाने वालों की सूची तैयार की गई है. दोनों समुदायों के नेताओं पर भी निगरानी रखी जा रही है.