नागपुर. केंद्रीय खान मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में गारेपालमा कोयला खान का स्वामित्व महानिर्मिति को दिया था. आज ढाई साल बीत चुके हैं लेकिन महाविकास आघाड़ी की सरकार ने खदानों का अधिग्रहण नहीं किया है. आखिरकार राज्य में कोयला संकट पैदा हो गया. बावनकुले ने यह सनसनीखेज जानकारी उजागर की. उल्लेखनीय है कि राज्य ऊर्जा मंत्रालय का दावा है कि केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही है, जिससे महाराष्ट्र में बिजली संकट पैदा हुआ है.
मविआ ने ठप कर दिया अधिग्रहण
बावनकुले ने कहा कि राज्य में कोयले की भविष्य की मांग को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर कोयला मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ की गारेपालमा सेक्टर 2 खदान को बिजली उत्पादक महानिर्मिति को दे दिया था. 31 मार्च, 2015 को एक औपचारिक समझौता भी हुआ. कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद दिसंबर 2018 तक खदान से कोयला उत्पादन शुरू होना था लेकिन उसके बाद महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी और गारेपालमा खदान का अधिग्रहण ठप हो गया.
… तो घट जाती बिजली दरें
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पहली बार महानिर्मिति को कोयला खदान का प्रत्यक्ष स्वामित्व मिलना था. इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा था. इसके अलावा करीब 23 लाख टन कोयले से 4,000 मेगावाट बिजली पैदा करना संभव होता लेकिन आंतरिक विवादों में उलझी महाविकास आघाड़ी सरकार ने खदानों का अधिग्रहण नहीं किया.
केंद्र सरकार ने भविष्य में कई नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के शुभारंभ के बाद बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए यह निर्णय लिया था. केंद्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया था कि अगर कम दूरी से कोयला उपलब्ध होता तो बिजली की दरें कम की जा सकती थी लेकिन महाविकास आघाड़ी सरकार ने उस निर्णय को गंभीरता से नहीं लिया.
अब भी मौका गया नहीं है
उन्होंने आगे कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने भी छत्तीसगढ़ सरकार को भूमि संबंधी सभी प्रक्रियाओं के लिए आवेदन किया था. इसके अलावा महानिर्मिति ने खदान के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएं जारी की थीं. इतना ही नहीं, बल्कि खदान के विकास की अंतिम योजना और खदान के संचालन का समझौता महानिर्मिति द्वारा तैयार किया गया था लेकिन इन सबके बावजूद महाविकास आघाड़ी सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने नकारात्मकता की नीति अपनाई और राज्य में कोयले का संकट खड़ा कर दिया. आज ढाई साल बाद खदान की तलाश में राज्य के ऊर्जा मंत्री छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं.
8 दिन पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से खदान चालू करने की अनुमति देने का भी अनुरोध किया था लेकिन अगर आज भी यह खदान शुरू हो जाती है तो 4 साल बाद इससे महाराष्ट्र की जनता को फायदा होगा. चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा प्रस्तुत किया गया. उन्होंने मौजूदा बिजली संकट में लाभ की अनुपलब्धता पर भी अफसोस जताया.