
- HC ने 10,000 रु. का ठोका जुर्माना, अवमानना मामले में दिए आदेश
नागपुर. सेवानिवृत्ति की उम्र और उसकी वजह से उत्पन्न हुए सेवानिवृत्ति के लाभ मुहैया कराने के लिए हाईकोर्ट की ओर से 19 दिसंबर 2018 को ही आदेश जारी कर दिए. हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद इसका पालन नहीं किए जाने पर मधुकर उईके की ओर अवमानना की याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने गत समय समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव श्याम तागड़े समाजकल्याण आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवरे, विभागीय उपायुक्त सिद्धार्थ गायकवाड़, सहायक आयुक्त बाबासाहब देशमुख, तिरपुड़े कॉलेज की प्राचार्य डॉ. स्वीटी धर्मिधिकारी, युगांतर एजुकेशन सोसाइटी के सचिव गणेश गौरखेड़े के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था. साथ ही अदालत में हाजिर रहने के आदेश भी दिए थे. मंगलवार को सुनवाई के दौरान विभागीय उपायुक्त हाजिर नहीं होने पर कड़ी फटकार लगाते हुए न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जी.ए.सानप ने 10,000 रु. का जुर्माना ठोक दिया.
सेंट्रल जेल लाइब्रेरी को निधि देकर रसीद प्रस्तुत करें
सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि 10 हजार रु. का भुगतान 7 दिनों के भीतर सेंट्रल जेल की लाइब्रेरी को करना होगा. साथ ही निधि जमा किए जाने की रसीद अगली सुनवाई के पूर्व अदालत के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी. अगली सुनवाई के दौरान अदालत में हाजिर रहने के आदेश भी विभागीय उपायुक्त सिद्धार्थ गायकवाड़ को दिए. सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि आदेशों के अनुसार गायकवाड़ सुबह के सत्र में अदालत में उपस्थित थे किंतु अनुसूचित जाति आयोग के समक्ष उन्हें पेश होना था, जिसके लिए वे दोपहर के सत्र में हाजिर नहीं हो सके है. इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि सुबह के सत्र में सुनवाई के दौरान वकील द्वारा उनकी उपस्थिति प्रदर्शित नहीं की गई. ऐसे में उन्हें पहचान पाना कैसे संभव होगा. अदालत का मानना था कि जब उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है तो आयोग के समक्ष उपस्थित रह पाना उनके लिए संभव नहीं हो सकता है.
हाजिर रहने से जानबूझकर कतरा रहे अधिकारी
सुनवाई के दौरान अदालत ने अन्य प्रतिवादियों की ओर से मांगी गई माफी को स्वीकार किया. साथ ही अगली सुनवाई के दौरान उनकी उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होने के आदेश भी दिए. अदालत ने आदेश में कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभागीय उपायुक्त जानबूझकर हाजिर रहने से कतरा रहे हैं. जिम्मेदार जनसेवक और राज्य के जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना उनका नैतिक कर्तव्य है. उनके कर्तव्यों में कानून का पालन करना भी शामिल है. शुरुआत में इस अदालत की ओर से कानून का पालन करने के लिए नोटिस जारी किया गया. जिसका उल्लंघन किया गया और अब जमानत वारंट जारी होने के बाद भी इसे दरकिनार किया गया. जिससे अदालत के आदेशों के अनुसार हाजिर होने का अधिकारी की ओर से केवल दिखावा किया जा रहा है.