After Ayodhya now Varanasi will be solar city till now 28000 people have adopted solar energy

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    नागपुर. केन्द्र सरकार के वायु प्रदूषण को करने करने के लिए सौर ऊर्जा का सहारा लेने का प्लान बनाया गया था. इसके तहत आमजन को सौर ऊर्जा सिस्टम लगाने की छूट दी थी. लेकिन यह प्रक्रिया सरकारी सिस्टम में फंस कर रह गई है. महावितरण और ठेकेदार दोनों ही इस योजना को अमल में न ला पाने के अपने अपने कारण गिना रहे हैं. लेकिन इससे आमजन को कुछ भी फायदा नहीं मिल पा रहा है. ठेकेदार जहां सब्सिडी देर से मिलने का रोना रो रहे हैं वहीं महावितरण नई ठेका एजेंसियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने के दावे कर रहा है. इन सबके बीच आमआदमी का हित ताक पर रखा जा रहा है.

    बता दें कि सबसे पहले सौर ऊर्जा सिस्टम लागने की जिम्मेदारी पूरे राज्य में महाऊर्जा विभाग संभालता था लेकिन इसके ढिलमिल रवैये के कारण यह जिम्मेदारी महावितरण कंपनी के पास आ गई. पूरे राज्य में करीब 16 विभागों में 26 ठेका एजेंसियों को सौर ऊर्जा सिस्टम लगाने के लिए अधीकृत किया गया है.

    हालांकि महावितरण अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से निभा रहा है लेकिन इसमें सबसे बड़ी रुकावट बने हुए हैं ठेकेदार. उनका अपना राग है. वे सीधे सब्सिडी को जिम्मेदार बता रहे हैं. उनका कहना है कि जब समय से पैसा ही नहीं मिलेगा तो ऐसे काम का क्या लाभ? फिलहाल अभी मामला अधर में लटकता दिखांई दे रहा है.

    ठेकेदारों को नहीं दिख रहा लाभ

    केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने काम को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए नई ठेका एजेंसियों की नियुक्ति संबंधी निर्देश दिए हैं. जिसके अनुसार महावितरण काम कर रहा है. सूत्रों की मानें तो महावितरण कंपनी ने बीते वर्ष 2021 में नए ठेकेदारों को पंजीकृत कर सेवा देने के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी की थी लेकिन बताया जा रहा है कि तकनीकि कारणो से निविदा खोली नहीं जा सकती है. लेकिन ज्यादातर ठेकेदार काम करने के इच्छुक नहीं है. उन्हें इसमें अब लाभ का सौदा नहीं दिखता है.