Petrol Pump
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    नागपुर. तपती धूप के बीच पेट्रोल पम्पों पर ‘पेट्रोल-डीजल नहीं हैं’ का बोर्ड दिख जाए तो ग्राहक परेशान हो जाते हैं. उनके मन में यही विचार आता है कि अब अगले पेट्रोल पम्प तक कैसे पहुंचेंगे. इन दिनों कई वाहन चालकों को इस तरह की विकट परिस्थिति का सामना करना पड़ा है. इसका सबसे प्रमुख कारण है पेट्रोल पम्पों पर सप्लाई का लड़खड़ाना. कुछ दिनों से पेट्रोल पम्पों पर सप्लाई ठीक तरह से नहीं हो पा रही है. इसके कारण शहर के कई पेट्रोल पम्प ड्राय अवस्था में नजर आते हैं. तीनों कम्पनियों के पेट्रोल पम्पों पर इस तरह के हालात देखे जा सकते हैं. सप्लाई में कम से कम 1 से डेढ़ दिन का फर्क आया है. पहले की तरह पम्पों पर सुचारु रूप से सप्लाई नहीं होने से पम्प जल्द ही ड्राय होने की स्थिति में आ जाते हैं.

    अधिकारियों के ट्रांसफर से बढ़ीं दिक्कतें

    सूत्रों के अनुसार कम्पनियों के पुराने अधिकारियों की ट्रांसफर होने के कारण पम्पों पर सप्लाई व्यवस्था लड़खड़ा गई है. नये अधिकारियों की अपनी एक पॉलिसी है. पहले के अधिकारी जहां पहले माल बेचो और बाद में राशि भरने को बोलते थे, लेकिन अभी के अधिकारी पहले राशि भरो, बाद में माल मिलेगा कहते हैं. इसके चलते पम्पों पर ईंधन समय पर पहुंच नहीं पाता है. तीनों कम्पनियों के पम्पों पर यही हाल देखा जा सकता है. लोग घर से निकलते हैं कि पम्प पर पेट्रोल-डीजल भरायेंगे लेकिन वहां पर पहुंचते ही बोर्ड देखकर उन्हें वापस लौटना पड़ता है. वहीं कर्मचारियों को भी हाथ पर हाथ धरकर बैठना पड़ता है.

    4,00,000 लीटर पेट्रोल की खपत रोज 

    पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बाद लोग मानने लगे थे कि ईंधन की खपत में कमी आई होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कीमत चाहे जितनी बढ़ी हों, फिर भी पेट्रोल और डीजल की खपत में कोई कमी नहीं आई. 76 रुपये प्रति लीटर के समय जितनी खपत थी, उतनी ही आज 120.17 रुपये प्रति  लीटर पर पहुंचने के बाद भी है. आज इतना महंगा पेट्रोल-डीजल होने के बाद भी लोग पेट्रोल भरवा रहे हैं. नागपुर शहर की बात की जाए तो यहां पर करीब 90 पेट्रोल पम्प हैं और इनमें 5,000 से 6,000 कार, दुपहिया और मिनी ट्रक पहुंचते हैं. यानि यहां पर रोज 4,00,000 लीटर पेट्रोल और करीब 1,50,000  लीटर डीजल की खपत होती है. अधिकतर ट्रक वाले आउटर से डीजल भराते हैं जिसके चलते शहर में पेट्रोल की तुलना में डीजल की खपत कम है. शहर में हर क्षेत्र के हिसाब से पम्पों पर 3,000 से 8,000 लीटर पेट्रोल की खपत होती है. 

    आम आदमी के लिए बना मजबूरी

    जानकारी के अनुसार लोग अभी भी सामान्य दिनों की तरह ही ईंधन भरवा रहे हैं. खपत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों पर महंगे पेट्रोल और डीजल की कीमतों का कोई असर नहीं पड़ रहा है. पेट्रोल जब तक 100 से ऊपर नहीं पहुंचा था, तब तक बहुत हंगामा सुनने मिल रहा था लेकिन 120.17 पर पहुंचने के बाद तो जैसे आम आदमी के सामने महंगा पेट्रोल भराना  मजबूरी बन गया हो. सभी को अपने काम से या कार्यालय तो जाना ही है. इसके चलते वे पेट्रोल-डीजल के बगैर वाहन चला भी नहीं सकते. आज सीएनजी, एलपीजी व बैटरी वाहनों में इजाफा होते जा रहा है लेकिन इसके बाद भी पेट्रोल-डीजल की खपत में कोई अंतर नहीं आया. जब तक यहां पर सीएनजी पम्पों की संख्या नहीं बढ़ती तब तक लोग सीएनजी वाहनों पर फोकस नहीं करना चाहते.