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    नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में भर्ती मरीजों के रक्त नमूने सीधे वार्ड से लेकर रिपोर्ट पहुंचाने की योजना तैयार की गई थी. इसके लिए स्वतंत्र परिचर भी नियुक्त किये गये थे लेकिन यह योजना शुरू ही नहीं हो सकी. परिणाम स्वरूप वर्तमान में भले ही वार्ड से रक्त के नमूने लिये जाते हो लेकिन रिपोर्ट के लिए परिजनों को पैथोलॉजी या संकलन कक्ष के चक्कर काटना पड़ता है. 

    मेडिकल में बड़ी संख्या में निजी पैथोलॉजी के एजेंट सक्रिय हैं. सीधे वार्ड में जाकर टेक्नीशियन रक्त के नमूने लेते हैं. एजेंट की सक्रियता पर रोक लगाने के लिए मेडिकल प्रशासन ने मध्यवर्ती चिकित्सा रक्त जांच प्रयोगशाला के सहयोग से वार्ड में नमूने लेकर मरीज तक रिपोर्ट पहुंचाने की योजना बनाई थी. मेडिकल में हर दिन रक्त, मल-मूत्र के करीब 2,000 नमूनों की जांच होती है. योजना से परिजनों को रिपोर्ट के लिए चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ने वाली थी लेकिन योजना केवल कागजों में ही रह गई. 

    निजी पैथोलॉजी के एजेंट सक्रिय

    मेडिकल में अनेक डॉक्टरों के निजी पैथोलॉजी से संबंध होने के चलते ही एजेंट सक्रिय है. अब भी निजी लैब के सीधे वार्ड में मरीजों तक पहुंचते हैं और रकम लेकर रिपोर्ट भी पहुंचा देते हैं. दरअसल मेडिकल में सभी जगह मरीजों की लंबी वेटिंग रहती है. इस वजह से परिजन भी बाहर से जांच कराने के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ जांच ऐसी हैं जो मेडिकल में अब भी नहीं होती. इसी का फायदा निजी पैथोलॉजी वाले उठा रहे हैं. मेडिकल में हर दिन 2,500 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं, इनमें से 1,000 मरीज वार्डों में भर्ती होते हैं. योजना के शुरू होने से बाहरी एजेंटों पर अंकुश लगाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हो सका.