Stray Cattle
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    • 1100 से अधिक है संख्या
    • 60 फीसदी का गलियों में ही ठिकाना

    नागपुर. सिटी को स्मार्ट बनाने के साथ ही क्लीन सिटी बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर शहर के भीतर मवेशीपालक सड़कों को तबेला बनाकर अपनी मनमानी कर रहे हैं. शहर में 1100 से अधिक पशुपालक हैं जो गाय-भैंस पाल रहे हैं. उनमें से करीब 60 फीसदी ने सड़कों, सार्वजनिक मैदानों, गलियों पर कब्जा जमाया हुआ है. इन लोगों ने सड़कों के किनारे गाय-भैंस बांधने के खूंटे गाड़ रखे हैं और वहीं मवेशी के चारा-पानी की टंकी तक लगा दी है. कुछ ने बाजार क्षेत्रों में गलियों पर अतिक्रमण कर रखा है. सड़कों पर बने तबेले आसपास रहने वाले नागरिकों के लिए सिरदर्द बन चुके हैं लेकिन झगड़ा मोल नहीं लेने के चक्कर में वे खुलकर इसका विरोध भी नहीं कर पाते. आश्चर्य यह है कि मनपा का संबंधित विभाग आंखें मूंदकर बैठा हुआ है और कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

    वर्षों से नदी किनारे रोड पर पालन

    सीताबर्डी में महाबैंक चौक समीप निडोज बार के सामने नाग नदी के किनारे वाली सड़क पर वर्षों से सड़क को तबेला बनाकर रखा गया है. इस मार्ग पर दोपहिया वाहनों की भारी भीड़ रहती है. सड़क पर बंधे मवेशी रास्ता जाम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, मवेशियों द्वारा गंदगी भी की जा रही है. केवल यही नहीं, पश्चिम नागपुर में तो गोकुलपेठ बाजार इलाके में एक गली को तबेला बनाकर रखा गया है. यहां एक पशुपालक 50-60 गायें बांधता है और नागरिकों को इस गली का उपयोग ही बंद करने को मजबूर होना पड़ा है.

    पूरी दादागीरी से इस सरकारी गली पर तबेला संचालक ने अतिक्रमण कर रखा है. ऐसा ही नजारा फुटाला लेक से कैम्पस चौक की ओर जाने वाले रास्ते पर नजर आता है जहां भैंस व गाय पालने वालों ने सड़कों व गलियों पर डेरा जमा रखा है. ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं. मनपा के पशु विभाग के अनुसार शहर में 1100 से अधिक पशुपालकों के तबेले हैं. अधिकांश के पास पशु पालने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है. उन्होंने सड़कों व गलियों पर ही कब्जा जमाया है.

    प्रस्ताव तक ही सीमित है योजना

    कुछ वर्ष पूर्व मनपा ने शहर के सभी तबेलों को शहर सीमा से बाहर स्थानांतरित करने के लिए ‘नंदग्राम योजना’ का प्रस्ताव तैयार किया था, जिसके तहत सभी मवेशीपालकों को शहर के बाहर एक ही जगह पर शिफ्ट किया जाना था लेकिन आज तक उसका कुछ नहीं हुआ. योजना तो ठप ही पड़ गई लेकिन शहर में जो मवेशी पालक सड़कों, गलियों और सार्वजनिक जगहों पर कब्जा कर अपना धंधा जमाए बैठे हैं, ऐसों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही. यह आश्चर्य की बात है.

    मनपा के पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी ने बताया कि नंदग्राम योजना कुछ तकनीकी कारणों के कारण लेट हुई है. पहले जो प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसके तहत मवेशीपालकों को जमीन पर निर्माण कार्य करके दिया जाना था लेकिन वह महंगा पड़ रहा था. पालकों को देने के बाद उनसे वार्षिक किराया भी लिया जाना था. कुछ तकनीकी कारणों से अब नंदग्राम की नई डिजाइन के साथ प्रस्ताव तैयार करने की जानकारी उन्होंने दी, लेकिन अब तक कोई हलचल होती नहीं दिख रही है. 

    ऐसी थी योजना

    नंदग्राम के नये प्रपोजल में दूध को सुरक्षित रखने के लिए चिलिंग प्लांट, वेटनरी डिस्पेंसरी, चारा रूम, 10-10 मवेशी की क्षमता के 465 शेड्स, बायोगैस प्लांट से कनेक्टेट स्ट्राम ड्रेन, गोबर की अलग व्यवस्था, वाहनों के आवागमन के लिए चौड़ी सड़कें, मवेशियों के फिरने के लिए 2-2 एकड़ के दो फेंसिंग वाले ओपन प्लाट, 4 वाटर टैंक और बोरवेल आदि का समावेश किया गया है.

    अधिकारी ने बताया कि सड़कों पर लावारिस घूमने वाले मवेशियों को पकड़ने की जिम्मेदारी मनपा के कोंडवाना विभाग की है लेकिन गलियों या तबेलों में जो पालन हो रहा है, उसे बंद करने का अधिकार मनपा के पास नहीं है. सवाल यह उठता है कि सड़कों या गलियों में कब्जा कर जो तबेले चला रहे हैं, वह तो अतिक्रमण की श्रेणी में आता है. अत: कार्रवाई मनपा के अतिक्रमण उन्मूलन दस्ते को करनी चाहिए.