स्टेशनरी घोटाले की हो उच्च स्तरीय जांच, नगर विकास मंत्री को ठाकरे ने दिया पत्र

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    • -67 लाख का गोलमाल हुआ उजागर
    • -100 करोड़ से अधिक का होने का संदेह

    नागपुर. मनपा में लगातार चर्चाओं में चल रहे स्टेशनरी घोटाले की गूंज अब राज्य सरकार के नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के कक्ष तक पहुंच गई है. विधायक विकास ठाकरे ने इस संदर्भ में उच्च स्तरीय जांच करने की मांग कर मंत्री को पत्र सौंपा है. पत्र में उन्होंने कहा कि गत कुछ दिनों से नागपुर महानगरपालिका में स्टेशनरी घोटाला की छानबीन चल रही है.

    प्राथमिक स्तर पर केवल 67 लाख का घोटाला होने का अनुमान लगाया जा रहा था. यह घोटाला केवल एक विभाग का नहीं है, मनपा के प्रत्येक विभाग में स्टेशनरी खरीदी गई. इस तरह से यह 100 करोड़ से अधिक के गबन का मामला होने का संदेह है. चर्चा के दौरान विधायक ठाकरे ने कहा कि घोटाला उजागर हुए 15 दिन से अधिक का समय बीत गया है किंतु मनपा स्तर पर चल रही जांच केवल खानापूर्ति है. पुलिस की ओर से भी केवल 3 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि इसमें कई बड़े अधिकारी लिप्त होने से इनकार नहीं किया जा सकता है. 

    आपातकालीन सहायता निधि का भी दुरुपयोग

    ठाकरे ने कहा कि कोरोना महामारी के उपायों के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2020-21 और 2021-22 में मनपा को अलग से 25 करोड़ की सहायता निधि दी है. स्टेशनरी घोटाला में राज्य सरकार की सहायता निधि का भी दुरुपयोग किया गया है. कोरोना महामारी के दौरान काटोल रोड पर दहेगांव के पास राधास्वामी सत्संग केंद्र में 1,000 बेड का अस्पताल तैयार किया गया था.

    इसके अलावा महामारी में प्रत्येक जोन में अलग-अलग क्वारंटाइन सेंटर तैयार किए गए. बिना टेंडर कई वस्तुओं की खरीदी की गई जिस पर भारी मात्रा में निधि खर्च की गई है. इस खर्च में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने की शिकायतें लोगों द्वारा की जा रही हैं.

    सत्तापक्ष और आयुक्त का नियंत्रण नहीं

    चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि महानगरपालिका की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली को देखा जाए तो सत्तापक्ष और आयुक्त का प्रशासन पर नियंत्रण नहीं है. यही कारण है कि प्रशासन निरंकुश हो गया. कुछ वर्ष पूर्व मनपा में इसी तरह से क्रीड़ा सामग्री घोटाला हुआ था. नंदलाल समिति की नियुक्ति हुई थी. समिति की जांच में कई पार्षदों और अधिकारियों पर मामले दर्ज हुए. इसी तरह स्टेशनरी घोटाला और महामारी के दौरान उपायों के नाम पर हुए खर्च की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. चर्चा के बाद नगर विकास मंत्री शिंदे ने जल्द ही इस संदर्भ में आदेश जारी करने का आश्वासन दिया.