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    • राज्य छोड़कर जाते प्रकल्पों को देखकर शीघ्रता से लिया गया निर्णय

    नागपुर. टाटा एयरबस और सेफ्रन सहित अन्य प्रकल्पों के मिहान में निवेश न करने का फैसला लेते हुए अन्य राज्य में पलायन किये जाने को लेकर सरकार और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. इन कम्पनियों की तरह ही लेटलतीफी का असर अन्य प्रकल्पों पर देख महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी ने (एमएडीसी) मिहान में तोरना कम्पनी को जमीन वितरण की मंजूरी शीघ्रता से दी है. तोरना का प्रस्ताव जून महीने से प्रलंबित था. मिहान प्रकल्प के विशेष आर्थिक क्षेत्र और विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर ऐसे दो हिस्से हैं. सेज के बाहर की तुलना में सेज में जमीन की दर कम है. तोरना आईटी कम्पनी को सेज में सवा 2 एकड़ जमीन चाहिए थी. 

    जून 2022 में किया था आवेदन 

    जमीन के लिए कंपनी ने एमएडीसी में जून 2022 में आवेदन किया था परंतु संचालक मंडल की बैठक लेकर शीघ्र से जमीन देने की बजाय प्रस्ताव को प्रलंबित रखा गया. विविध प्रशासकीय कारणों और जमीन मिलने में देरी के कारण ही यहां से एक-एक प्रकल्प का पलायन शुरू है. वहीं उद्योजकों का उत्साहपूर्वक स्वागत नहीं किया जाता. अब कहीं यह प्रकल्प भी हाथ से न निकल जाये, इसे देखते हुए इसे शीघ्रता से जमीन की मंजूरी दी गई.

    वहीं स्पेसवुड कंपनी को मिहान में सेज से बाहर जमीन चाहिए. इस कम्पनी का प्रस्ताव भी पिछले 6 महीनों से एमएडीसी के पास पड़ा हुआ है. लगभग 12 करोड़ की ये जमीनें हैं. इतने महीने बीत जाने के बाद भी एमएडीसी द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. इसी रवैये के कारण अच्छे-अच्छे प्रकल्पों का यहां से पलायन जारी है.