
- जनरल प्रमोशन में सामान्य अंकों के बाद कैसे मिलेगा प्रवेश
नागपुर. कोरोना ने पूरे एजुकेशन सिस्टम को ऐसे भंवर में फंसा दिया है जहां से निकलना अबूझ पहेली बन गई है. सीबीएसई, महाराष्ट्र बोर्ड सहित आईसीएसई बोर्ड ने अपने बोर्ड एग्जाम को रद्द कर दिया है. हालांकि इसके बाद रिजल्ट बनने की प्रक्रिया, मार्क्स को लेकर स्टूडेंट और पैरेंटस में भारी कन्फ्यूजन है. वहीं प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन और ग्रेजुएशन को लेकर भी संशय बना हुआ है. ऐसे में स्टूडेंटस के सामने यही प्रश्न है कि आखिर कैसे बनेगी मेरिट और कैसे हो पाएगा अगली क्लास में एडमिशन. क्योंकि जिस तरह से रिजल्ट तैयार किया जा रहा है, उसके मुताबिक लगभग सभी छात्रों के अंक सामान्य रैंक पर ही आएंगे. लेकिन इस हाल में होनहार छात्रों और औसत छात्रों के बीच एडमिशन को लेकर काफी जद्दोजहद संस्थानों को करनी पड़ सकती है. स्टूडेंट्स की नजरें रिजल्ट से ज्यादा इस पर टिकी हैं कि रिजल्ट आने के बाद एडमिशन का प्रोसेस क्या होगा, उसका पैटर्न क्या होगा जिसके आधार पर हमें आगे की कक्षाओं में प्रवेश मिलेगा. या अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन मिलेगा. इसको लेकर छात्रों को चिंता सताए जा रही है.
कॉलेजों में प्रवेश को लेकर छात्र चिंतित
स्टूडेंट लाइफ में 12वीं क्लास के बाद ही कैरिअर की दिशा तय मानी जाती है लेकिन विभिन्न बोर्ड के इतिहास में यह नया अवसर है कि जब बिना एग्जाम के ही रिजल्ट घोषित किया जाएगा. ऐसे में अगले क्लासेस में एडमिशन के प्रोसेस को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. स्टूडेंट्स 12वीं के बाद कॉलेजों में प्रवेश को लेकर ज्यादा चिंतित है, क्योंकि कॉलेजों में जो कटऑफ तय होंगे उसके लिए तो सैकड़ों छात्र योग्य होंगे. ऐसे में उन्हें प्रवेश मिलेगा या नहीं. इसकी चिंता भी उन्हें सता रही है.
तो क्या ऐसे पैटर्न पर जा सकती हैं संस्थान
- मेरिट और इंटरव्यू के आधार पर.
- ऑनलाइन एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर.
- सीट की तुलना में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर.
- निर्धारित मार्क्स के बाद सिर्फ इंटरव्यू से प्रवेश.
इस पैटर्न पर भी हो रहा रिजल्ट तैयार
- प्री बोर्ड एग्जाम स्कोर के आधार पर.
- 10वीं बोर्ड का वेटेज जोड़ा जा सकता है.
- सब्जेक्ट टीचर्स के आंतरिक मूल्यांकन.
- अधिकतम अंकों की सीमा निर्धारित हो सकती है.
- 11वीं और 12 वीं के मार्क्स का एवरेज जोड़कर.
संस्थान अपने स्तर पर ले सकती है निर्णय
12वीं के रिजल्ट आते-आते करीब एक माह का वक्त लगेगा. तब तक हालात सामान्य हो जाएंगे. लेकिन स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश का पैटर्न कैसा होगा अब तक यह क्लियर नहीं हुआ है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले वक्त में संस्थान खुद ही एडमिशन के पैटर्न को तय कर सकती है. जिस पर खरा उतरने वाले छात्रों को प्रवेश मिल सकेगा. वहीं जो संस्थान के मानदंडों पर खरा नहीं उतरते उन्हें दूसरे संस्थान की ओर रुख करना होगा.
ऑनलाइन टेस्ट के पक्ष में संस्थान
कई संस्थान इसकी भी तैयारी कर रहे हैं कि आईआईटी जेईई एग्जाम में जिस तरह का पैटर्न लागू किया जाएगा वैसा ही पैटर्न सिटी के संस्थानों में लागू किया जाएगा. वहीं कुछ संस्थानों से बात करने पर उनकी बातें जो सामने आई वह ये है कि जब एग्जाम नहीं हुआ, टॉपर्स नहीं हैं, तो मार्क्स का परसेंटेंज भी कम ही होगा. एडमिशन ऑनलाइन टेस्ट से लिए जाने चाहिए. ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन का ऑनलाइन टेस्ट और इंटरव्यू अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. इसके अलावा बोर्ड मार्क्स का भी वेटेज दिया जा सकता है. एडमिशन किस तरह से लिए जाएंगे, इसे लेकर जल्द से जल्द स्थिति क्लियर करनी चाहिए.
योग्यता का सही आकलन करना चुनौती
कोचिंग संचालकों का कहना हैं कि पिछले सालों में जिस तरह एंट्रेंस एग्जाम लिए गए हैं उससे थोड़ा अलग हटकर होना चाहिए लेकिन बिना टेस्ट के एडमिशन नहीं होने चाहिए. जिससे स्टूडेंट की योग्यता का सही आकलन हो सके और किसी का कोई नुकसान न होने पाए. एंट्रेंस ही होना चाहिए ताकि सही और योग्य स्टूडेंट को चुना जा सके. पिछले क्लासेस के इंटरनल एग्जाम में जो नंबर मिले हैं उनको जोड़कर जो रिजल्ट बनेगा उसे शामिल किया जा सकता है. इससे स्टूडेंट्स को नुकसान नहीं होगा.