नागपुर. बीते वर्ष भरपूर बारिश होने से सारे जलप्रकल्पों में पानी का स्टॉक भरपूर हो गया था. उसी समय मनपा के जलप्रदाय विभाग और ओसीडब्ल्यू द्वारा दावा किया गया था कि इतना स्टॉक है कि आगामी 2 वर्षों तक सिटी को पीने के पानी की कोई किल्लत नहीं होगी लेकिन इस वर्ष सिटी के कई इलाकों में जलसंकट से नागरिक परेशान हो रहे हैं. जिन बस्तियों में अभी पाइप लाइन नहीं बिछी है और नल कनेक्शन नहीं दिये गए हैं और जहां पाइप लाइन बिछा दी गई है लेकिन उसे चार्ज नहीं किया गया है ऐसी बस्तियों में ओसीडब्ल्यू द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है. हालत यह है कि टैंकर ड्राइवर इस संकट का लाभ उठा रहे हैं. जो घर वाले उन्हें खर्चा देते हैं उन्हें नियमित पानी दे रहे हैं और जो नहीं देते उन्हें 10-10 दिनों तक पानी नहीं मिल रहा है. मानेवाड़ा बेसा रोड की कुछ बस्तियों से नागरिकों की इसी तरह की शिकायतें मिल रही हैं.
16 दिनों से नहीं दिया पानी
मानेवाड़ा बेसा रोड स्थित आराधना नगर-2, दुर्गा मंदिर के पास प्लाट नंबर 1 से 10 के सभी घर टैंकर से पानी नहीं लेते हैं. इनमें से 2-3 घर टैंकर से पानी लेते हैं. बावजूद इसके इस एरिया में जो टैंकर वाला है वह पानी नहीं दे रहा है. नागरिकों का कहना है कि यहां के नाम से टैंकर में पानी भरकर वह दूसरी जगह देता है. बीते 16 दिनों से टैंकर वाले ने पानी नहीं दिया. उससे पूछने पर टैंकर आज आएगा, कल आएगा कहकर टालमटोल कर रहा है. नागरिकों ने बताया कि अभी जो व्यक्ति टैंकर का नियोजन देखता है वह फोन नहीं उठा रहा है. गर्मी के दिनों में इस कृत्रिम किल्लत से नागरिक परेशान हो गए हैं.
‘नगरसेवक’ कह रहे आयुक्त देख रहे
नागरिकों ने बताया कि जब ‘नगरसेवक’ से पानी की व्यवस्था का निवेदन किया और टैंकरवाले की शिकायत की तो उनका कहना है कि अभी उनके हाथ में कुछ नहीं है. उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है. अभी सब मनपा आयुक्त देख रहे हैं. यह भी बताया कि आयुक्त ने टैंकरों की फेरियां कम कर दी हैं. नागरिकों का कहना है कि जब जनप्रतिनिधि और अधिकारी ही नहीं सुन रहे हैं तो फिर वे किसके पास जाएं.
गडकरी की डपट का असर नहीं
आश्चर्य की बात तो यह कि एक दिन पूर्व ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने निवास स्थान पर सिटी में जलसंकट के संदर्भ में बैठक ली थी और अधिकारियों से सवाल किया था कि जब पानी का स्टॉक पर्याप्त है तो जलसंकट क्यों? उन्होंने ओसीडब्ल्यू के अधिकारियों को फटकार तक लगाई थी. इसके बावजूद नागरिकों को पानी के लिए तरसाया जा रहा है. लगता है कि गडकरी की डपट का असर भी मोटी चमड़ी वाले अधिकारियों पर नहीं हो रहा है.