School closed
File Photo

    Loading

    नागपुर. कोरोना से राहत के बाद जब नवंबर में कॉलेज खोले गये तो सरकार ने छात्रों को वैक्सीन की दो डोज के साथ ही 50 फीसदी क्षमता को अनिवार्य किया. इसी नियमावली के अनुसार कॉलेज चल रहे थे लेकिन संक्रमण बढ़ने के बाद एक बार फिर 15 फरवरी तक कॉलेज बंद करने का निर्णय लिया गया. इस फैसले से न केवल छात्र बल्कि पालक भी हैरान है. छात्रों का कहना है कि जब वैक्सीन की दो डोज लिये हैं तो फिर कॉलेज बंद करने का औचित्य ही नहीं है. वहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार कॉलेज बंद किये जाने से छात्रों का नुकसान हो रहा है. ऑनलाइन अध्यापन लगभग बंद हो गया है. यही वजह है कि युवा वर्ग की अपने करिअर को लेकर चिंता बढ़ गई है.

    कॉलेज में प्रवेश के लिए दो वैक्सीन अनिवार्य किये जाने के बाद लगभग सभी छात्र वैक्सीनेट हो गये थे. कॉलेजों में पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी. ऑफलाइन क्लासेस होने से छात्रों की अध्यापन में रुचि भी बढ़ने लगी है. वहीं विवि प्रशासन ने शीत सत्र परीक्षाओं की तैयारी भी शुरू कर दी. उम्मीद थी कि ग्रीष्म सत्र की परीक्षाएं ऑफलाइन पद्धति से ली जाएगी लेकिना कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद सरकार ने एक बार फिर कॉलेजों को बंद करा दिया.

    जॉब मिलना मुश्किल

    शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि कॉलेज छात्रों की तुलना स्कूली छात्रों से करना उचित नहीं है. जब सब कुछ खुला हैं तो केवल कॉलेजों को बंद करना छात्रों का नुकसान कराने जैसा है. छात्र चाहते हैं कि वे कॉलेज जाये लेकिन सरकार उन्हें ऑनलाइन की आदत लगा रही है. साइंस, इंजीनियिरंग सहित प्रैक्टिकल बेस्ड स्टडी वाले छात्रों का नुकसान हो रहा है. पिछले वर्ष भी प्रैक्टिकल भी नहीं हो पाये थे. अब इस वर्ष भी वहीं नौबत आ गई. ऑनलाइन परीक्षा में सभी छात्र न केवल उत्तीर्ण हो रहे हैं, बल्कि मेरिट में आ रहे हैं. इन छात्रों के लिए भविष्य में जॉब भी मुश्किल हो जाएंगे. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए.

    आधी क्षमता के साथ लग सकती है क्लासेस

    विशेषज्ञों का मानना है कि कॉलेज बंद कराने की बजाय रोटेशन पद्धति से छात्रों को बुलाया जा सकता है. आधे छात्र एक दिन और आधे छात्र अगले दिन आ सकते हैं. वैसे भी एक क्लास में 40-50 छात्र होते हैं. यदि रोटेशन में क्लासेस चलाई जाये तो सोशल डिस्टेंसिंग भी बनी रहेगी. जब स्वास्थ्य मंत्री खुद कह चुके हैं कि इस बार वायरस गंभीर नहीं कर रहा है और ठीक होने वालों की तादाद अधिक है तो फिर कॉलेजों को बंद रखकर छात्रों का नुकसान क्यों किया जा रहा है.

    जब अधिकांश छात्रों को दोनों टीके लग चुके हैं तो फिर कॉलेज बंद करने का औचित्य ही नहीं आता. एक ओर जहां सब कुछ खुला हैं फिर कॉलेजों को बंद रखना यानी शैक्षणिक नुकसान करना है. बार-बार कॉलेज बंद होने से छात्रों की पढ़ाई से लिंक टूट रही है. बाहर से आने वाले छात्रों को आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ रहा है. सरकार को कोई भी निर्णय लेते वक्त गंभीरता से सोचना चाहिए. 

    – प्रशांत डेकाटे, सीनेट सदस्य, आरटीएम नागपुर विवि

    आधी क्षमता के साथ कॉलेज चलाये जा सकते हैं. इससे एक ओर जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा. वहीं दूसरी ओर पढ़ाई भी जारी रहेगी. ऑनलाइन परीक्षा की वजह से गुणवत्ता पर सीधे असर पड़ रहा है. स्थिति यह है कि छात्र डिग्री लेकर घूम रहे हैं. रोजगार के लिए भी दिक्कतें आ रही है. इससे भविष्य में और बेरोजगारी बढ़ेगी. छात्र कॉलेज आने को तैयार है लेकिन सरकार उन्हें ऑनलाइन की आदत लगा रही है. बार-बार कॉलेजों को बंद करना समस्या का समाधान नहीं है.

    – एड. मनमोहन बाजपेजी