येवला : तहसील में भारी वर्षा (Heavy Rain) से किसानों (Farmers) को भारी नुकसान पहुंचा है। तहसील में अचानक बादल फटने जैसी बारिश ने कृषि फसलों (Agricultural Crops) को नष्ट कर दिया है। तहसील में भारी वर्षा से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। सरकारी व्यवस्था के अनुसार 13 हजार, 466 किसान प्रभावित हुए हैं, क्योंकि कागज पर किए गए पंचनामा के अनुसार 9 हजार हेक्टेयर पर फसलों का भारी नुकसान हुआ है। फसलों के भारी नुकसान होने के बावजूद यहां के किसानों को सरकार की ओर से एक रुपया भी नहीं मिला है, इसलिए किसान मदद का इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष तहसील में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। इस बारिश ने किसानों को जितना सहारा दिया, उतना ही नुकसान भी किया है, इससे येवला में किसानों को बारिश से हुए नुकसान के नए आंकड़े देखने को मिले। येवला तहसील, जिसे पहले सूखा प्रवण के रूप में जाना जाता था को औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त करना मुश्किल लगता है। चालू वर्ष में तहसील में 724 मिमी (146 प्रतिशत) बारिश हुई, जबकि वार्षिक औसत 493 मिमी हुई।
जून महीने में 114 मिमी के औसत के मुकाबले केवल 73 मिमी बारिश हुई। वर्षा 306 मिलीमीटर तक पहुंच गई, जबकि जुलाई में भी अच्छी वर्षा ने उपस्थिति दर्ज कराई। अगस्त महीने में औसत 94 मिमी के मुकाबले 103 मिमी बारिश हुई। जून से सितंबर महीने के दौरान 589 मिलीमीटर यानी 129 फीसदी वर्षा दर्ज की गई, जबकि अक्टूबर महीने के पहले दो हफ्तों में 128 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। पहली बार अक्टूबर में भी दीपावली तक खेतों में खड़ी फसलों ने वर्षा का इंतजार किया।
तहसील में रिकॉर्ड बारिश के कारण, बाजरा के दाने फट गए, कपास काला हो गया, सोयाबीन सड़ गया और उन्हें खेतों से निकालने का समय आ गया। किसानों की ओर से उगाए गए प्याज के पौधे बह गए। रोपे गए प्याज को भी उबली हुई मिट्टी में दबा दिया, इतने व्यापक नुकसान के कारण निवेशित पूंजी धरातल पर चली गई है, इसलिए इस वर्ष किसान आर्थिक रूप से भारी पड़ गया है। तहसील में खरीफ की फसल का सबसे बड़ा क्षेत्र मक्का का है और लगभग 5 हजार हेक्टेयर मक्का क्षतिग्रस्त हो गया। इस नुकसान से 13 हजार 466 किसान प्रभावित हुए हैं और निवेशित पूंजी नहीं मिली है।
यहां के घाटे में चल रहे किसान सरकार के अजीबोगरीब व्यवहार से त्रस्त हैं। लगातार तीन महीने से हुई वर्षा से फसलों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन यहां के किसान सरकारी नियमों के चंगुल में फंसे रहे। नियमानुसार 65 एमएम से ज्यादा बारिश होने पर ही मुआवजा मिलता है, इसलिए, तहसील में करोड़ों के नुकसान के बावजूद, किसान अभी-भी मदद से वंचित हैं। किसानों को अभी तक मदद के रूप में एक रुपया भी मदद नहीं मिली है। तहसीलदार प्रमोद हिले ने बताया कि अब राजस्व एवं कृषि विभाग ने पंचनामा को विशेष मामला बना कर अपनी रिपोर्ट सरकारी कार्यालय को भेज दी है।
नुकसान एक नजर में
- बाजरा – 26 हेक्टेयर
- मक्का – 5174 हेक्टेयर
- कपास – 186 हेक्टेयर
- मूंगफली – 7 हेक्टेयर
- सोयाबीन – 2249 हेक्टेयर
- तूअर – 0.20 हेक्टेयर
- प्याज – 417 हेक्टेयर
- सब्जियां – 61 हेक्टेयर
- अनार – 21 हेक्टेयर
- अंगूर – 13 हेक्टेयर
- कुल – 8157 हेक्टेयर
भारी और लगातार वर्षा के कारण, आंखों के सामने फसलें क्षतिग्रस्त हो गई, इसके बावजूद, सरकारी सहायता नहीं मिलना गरीब किसानों के साथ अन्याय है। नुकसान के कारण, किसान कर्जदार हो गए हैं। राजस्व और कृषि प्रणाली पंचनामा किया है, अब किसान मुआवजे के दिए जाने का इंतजार कर रहे हैं।
सुभाष वाघ, पूर्व सरपंच, राजापुरी