बिरसा फाइटर्स का राज्य सरकार के विरोध में आंदोलन, जानें क्या है मामला

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    शिरपुर : राज्य सरकार (State Government) की ओर से 29 नवंबर 2022 को बिरसा (Birsa) के लड़ाकों ने फर्जी आदिवासियों (Fake Tribals) के संबंध में लिए गए सेवा संरक्षण के अवैध निर्णय के विरोध में प्रांतीय कार्यालय शिरपुर में प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान प्रांतीय अधिकारियों को अपनी मांगों संबंधी ज्ञापन दिया गया। 6 जुलाई 2017 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, उच्च न्यायालय मुंबई की नागपुर खंडपीठ की रिट याचिका निर्णय और सामान्य प्रशासन विभाग के फैसले 2019 के अनुसार, फर्जी लोगों को सेवा से मुक्त करने और उनके स्थान पर सही आदिवासियों को नियुक्त करने की उम्मीद की गई थी। 

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पांच वर्ष बाद भी सरकार बार-बार गलत फैसले लेकर अवैध, असंवैधानिक तरीके से हजारों फर्जी लोगों को सेवा सुरक्षा प्रदान कर रही है। इस संबंध में अधिकारियों को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि मूल आदिवासी समुदाय के शिक्षित युवा संवैधानिक अधिकार का आरक्षण न मिलने से हताशा में जीवन जी रहे हैं। सरकार को फौरन फर्जी लोगों को सेवा से मुक्त करके उनके स्थान पर असली आदिवासियों की भर्ती करने की मांग ज्ञापन में की गई है। ज्ञापन के माध्यम से सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी दी गई है। 

    सरकार के निर्णय के खिलाफ किए गए इस आंदोलन में बिरसा फाइटर्स नासिक मंडल के अध्यक्ष विलास पावरा, शिवसेना तहसील आयोजक मुकेश सेवले, धुलिया जिला अध्यक्ष वसंत पावरा, तहसील अध्यक्ष ईश्वर मोरे, संस्थापक अध्यक्ष एकलव्य प्रतिष्ठान भूषण मोरे, तहसील युवा अध्यक्ष शुभम पवारा, विजय पावरा, उपाध्यक्ष साधन ठाकरे, दारासिंह पावरा युवा नाशिक मंडल के अध्यक्ष अभावीप दीपक भील, विलास पावरा, संग्राम भील आदि ने काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शित किया। 

    देवेंद्र फडणवीस ने जानबूझकर बोगस लोगों को सेवा सुरक्षा और सेवानिवृत्ति लाभ देकर मूल आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकारों से हटा दिया है और सुप्रीम कोर्ट की भी अवहेलना की गई है। आने वाले समय में अन्याय करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    - विलास पावरा, अध्यक्ष बिरसा फायटर्स, नासिक विभाग।