Pimpri Traffic police

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    अमलनेर : राज्य सरकार (State Government) अपने कर्मचारियों (Employees) को सरकारी वाहन (Government Vehicles) उपलब्ध कराती है, लेकिन कुछ कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों की ओर से निजी वाहनों पर सरकारी नेम प्लेट (Government Name Plates) का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया जा रहा है। आम लोग उम्मीद करते हैं कि परिवहन और पुलिस प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिए।  इस संबंध में कई निजी वाहनों पर, ‘महाराष्ट्र सरकार’, ‘पुलिस’, ‘आपातकालीन सेवाएं’, ‘प्रेस’ नाम की प्लेट अक्सर कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों की ओर से निजी वाहनों में उपयोग की जाती हैं, इससे अक्सर टोल बूथों पर विवाद होता है। सार्वजनिक पार्किंग स्थल या अन्य स्थानों पर यात्रियों को ले जाने वाले वाहनों पर भी इन प्लेटों का उपयोग बढ़ गया है। 

    भले ही सरकार सरकारी वाहन उपलब्ध कराती है, निजी वाहनों का उपयोग सरकारी वाहनों के रूप में सरकारी अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों की तरफ से किया जाता है। इसके लिए अनधिकृत बोर्डों और लोगो का उपयोग बढ़ गया है। ऐसे वाहनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग जोर पकड़ रही है। जब सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को पहचान पत्र प्रदान किए हैं। तब भी वाहनों पर अनधिकृत नंबर प्लेट की संख्या में वृद्धि हुई है। अपराधियों की ओर से इन नाम बोर्डों का उपयोग करने की संभावना है, इसलिए परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और अनधिकृत बोर्डों के उपयोग को रोकना चाहिए। 

    ऐसा है नियम

    पुलिस अधिकारी और कर्मचारी दुपहिया और चौपहिया वाहनों पर ‘पुलिस’ लिखते हैं। पुलिस लोगो वाले स्टिकर लगाए जाते हैं। अक्सर पुलिस के अलावा उनके रिश्तेदारों की ओर से पुलिस के नाम का दुरुपयोग करने के मामले सामने आए हैं। ऐसे में ‘पुलिस’ की ओर से निजी वाहनों को प्लेट लगाकर चलाने पर भी हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। साथ ही संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सभी नागरिकों के लिए समान कानून के सिद्धांत के अनुसार, पुलिस द्वारा कानून का उल्लंघन स्वयं पुलिस की छवि खराब करने के समान है। इस तरह ‘पुलिस’ प्लेट वाले वाहन बिना नाकेबंदी और सुरक्षा जांच के निकल जाते हैं। पुलिस बल का दुरुपयोग नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल सकता है।