HSC Exam paper Leak in Parbhani
पेपर लीक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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नासिक: इस वर्ष कोरोना के कारण बाधित शैक्षणिक क्षेत्र का शेड्यूल सुचारू होने से लाखों छात्रों और अभिभावकों को राहत मिली है। सीईटी परीक्षा समय पर आयोजित करने से लेकर प्रवेश प्रक्रिया समय पर आयोजित करने से छात्रों का शैक्षणिक नुकसान नहीं होगा। एक ओर जहां प्रतियोगी परीक्षाओं का शेड्यूल अपनी मूल स्थिति में लौट रहा है, वहीं सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों की उम्मीदें टूट गई हैं। इस साल पटवारी भर्ती और अन्य परीक्षाओं में पेपर लीक (Nashik Paper Leak) करने वाला गिरोह नासिक में सक्रिय पाया गया। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अधिकारियों द्वारा करोड़ों की धोखाधड़ी ने भी नासिक की राज्य में छवि खराब की है। 

पेपर लीक की घटनाओं ने राज्य में नासिक को किया शर्मसार 
विभिन्न कारणों से रुकी हुई प्रतियोगी परीक्षाओं और सरकारी नौकरियों का इंतजार कर रहे शिक्षित बेरोजगार युवाओं का मेगा भर्ती का सपना इस साल अधूरा रह गया। राहत तो नहीं, लेकिन पेपर लीक की घटनाओं ने अभ्यर्थियों की परेशानी जरूर बढ़ा दी। अगस्त में पटवारी भर्ती के लिए हुई ऑनलाइन परीक्षा के पहले दिन नासिक केंद्र पर कदाचार का खुलासा हुआ था। पुलिस ने म्हसरुल इलाके में सेंटर के बाहर से संदिग्ध युवक को वॉकी-टॉकी, दो मोबाइल फोन, टैब और हेडफोन के साथ जब्त कर लिया। इस मामले पर सीधे विधानमंडल में चर्चा हुई। इस मामले के संदिग्धों पर विभिन्न परीक्षाओं के पेपर लीक की अन्य घटनाओं में भी शामिल होने का संदेह था। 

अधिकारी रंगे हाथ हुए गिरफ्तार 
लेकिन अब साल खत्म होते-होते पेपर लीक का पूरा मामला ठंडा पड़ गया है। राज्य भर में फैली महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज की शीतकालीन सेमेस्टर परीक्षा में भी एक विषय का पेपर लीक पाया गया। लेकिन विश्वविद्यालय ने तत्काल कदम उठाते हुए पेपर रद्द कर दिया और संशोधित तिथि पर परीक्षा आयोजित की। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के एमबीए पाठ्यक्रम ने भी घोषणा की कि एक विषय का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा संशोधित तिथि पर आयोजित की जाएगी। इस बीच निलंबित प्राचार्य को पत्र देने के बदले रिश्वत मांगने वाली मनपा शिक्षा विभाग की प्रशासनिक अधिकारी सुनीता धनगर और लिपिक नितिन जोशी को पचास हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। 

अधिकारियों की नियुक्ति पर उठा सवाल 
इसके बाद जांच के दौरान अधिकारियों के पास जो माया मिली उसे देखकर हर किसी की आंखें चौंधिया गई। शिक्षा विभाग में कथित भ्रष्टाचार का मामला सामने आते ही स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने नासिक दौरे के दौरान घोषणा की कि भ्रष्ट अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। दरअसल कई अन्य शिकायतों की जांच के दायरे में आए अधिकारियों की नियुक्ति के कारण यह घोषणा अधर में रह गई। साल खत्म होने से कुछ दिन पहले बड़े शिक्षण संस्थानों के पदाधिकारियों समेत जिला परिषद शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई चर्चा का विषय बन गई। इस बीच देखा गया कि शिक्षा विभाग में साल भर महत्वपूर्ण पदों पर प्रभारी ही काबिज रहे। 

विश्वविद्यालय के कार्य में तेजी आई
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के नासिक उप-केंद्र का निर्माण इस वर्ष शुरू हो गया है और सुसज्जित भवन का काम अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। नासिक के बाद कई अहम फैसले लिए गए। यद्यपि सहायक रजिस्ट्रारों की नियुक्ति के निर्णय को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है, इसलिए सहायक रजिस्ट्रारों की प्रतीक्षा अवधि वर्ष के अंत के बाद भी जारी है। पीआरएन नंबर खोलने के निर्णय से आंशिक शिक्षा में रह गए कई विद्यार्थियों को अपनी डिग्री, स्नातकोत्तर डिग्री पूरी करने का अवसर मिला है। इस वर्ष पूर्णकालिक कुलपति, प्रतिकुलपति की नियुक्ति से विश्वविद्यालय के कार्य में तेजी आई है।