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    लासलगांव : प्याज (Onion) के दाम रातों-रात गिर जाते हैं, इसका अंदाजा व्यापारी (Trader) और किसान (Farmer) तक को नहीं हो पाता। बताया जा रहा है कि प्याज के दाम करीब एक महीने तक स्थिर रहे। दाम की बात करें तो लहरी मौसम की प्याज मंडी में बनी हुई है जिससे ना केवल लाल प्याज बल्कि गर्मी के प्याज भी कमाई कर रहे थे। गर्मी के प्याज को भी अच्छे दाम मिले।

    लेकिन पिछले 8 दिनों में एैसा क्या हो गया कि दाम इतने कम हो गए कि किसानों का गणित भी चूक गया। आठ दिनों में लाल प्याज की कीमत में 764 रुपये की कमी आई है जबकि ग्रीष्मकालीन प्याज की कीमत में 630 रुपये की कमी आई है। राजस्व मांग से अधिक हो गया है, युद्ध की स्थिति भी निर्यात में मुश्किलें पैदा कर रही है। लेकिन कीमतों में अचानक गिरावट ने प्याज उत्पादकों को लगभग 11 करोड़ 72 लाख रुपये तक प्रभावित किया है, जिससे प्याज उत्पादकों में चिंता बढ़ गई है।

    आवक में वृद्धि से दर पर प्रभाव 

    गर्मी बढ़ने के कारण देश के मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से बड़ी मात्रा में लाल प्याज की आवक हो रही है। साथ ही जैसे-जैसे गर्मियों में नए प्याज की आवक बढ़ रही है, प्याज की घरेलू आपूर्ति मांग से ज्यादा बढ़ रही है। शनिवार 26 फरवरी को लाल प्याज की अधिकतम कीमत 2,625 रुपये थी। लेकिन शनिवार 5 मार्च को लाल प्याज की कीमत 1,861 रुपये के उच्च स्तर से गिरकर 764 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

    प्याज उत्पादकों को करोड़ों रुपये का नुकसान

    लासलगांव मंडी में पिछले 10 दिनों में लाल प्याज की 1 लाख 41 हजार 969 क्‍विंटल आवक हुई। 764 रुपयों की गिरावट होने से अंदाजे 10 करोड़ 84 लाख 64 हजार 316 रुपयों का नुकसान हुआ। वहीं नई गर्मी की प्याज की मंडी में आवक 2 हजार 552 क्विंटल रही। 10 दिनों में दिवसात 630 रूपयों की गिरावट होने से इसमें करीब 16 लाख 7 हजार 760 रुपयों का किसानों को नुकसान हुआ। नाशिक जिले में लासलगांव के साथ 17 प्याज की मंडियों हैं जिन्हें करीब 80 से 100 करोड रुपयों का नुकसान सहना पड़ा है।

    गर्मियों में प्याज की आवक शुरू 

    इस साल, जैसा कि दरें अपरिवर्तित रहीं, किसानों ने बाजारों के लिए लाल खरीफ प्याज की रात भर कटाई और कटाई पूरी की। लेकिन दाम धडाम से गिर गए। लेकिन लाल प्याज की शुरुआत के साथ ही गर्मियों में प्याज का सीजन शुरू हो गया है। तो लाल प्याज की आमद के साथ और अब नए पेश किए गए ग्रीष्मकालीन प्याज के साथ, सब कुछ गड़बड़ा गया है। इसके अलावा, किसान संघ मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार प्याज के निर्यात पर एक नीति तय करे।