Sewage Treatment Plant
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नासिक: महानगरपालिका और एमआईडीसी (MIDC) द्वारा अमृत-2 योजना (AMRUT-2 Scheme) के तहत पिछले कई वर्षों से लंबित जल शुद्धिकरण परियोजना (Water Purification Project) को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। औद्योगिक एस्टेट के लिए अमृत योजना से निधि प्राप्त न होने के कारण परियोजना महाराष्ट्र लाइफ अथॉरिटी द्वारा चलाई जाएगी। इसके लिए नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी फर्म की नियुक्ति को मंजूरी दी है।

विस्तृत परियोजना रिपोर्ट आने के बाद काम शुरू होगा और उद्यमियों की कई वर्षों से चली आ रही समस्या का समाधान हो जाएगा। सातपुर और अंबड औद्योगिक क्षेत्रों में गंगापुर बांध से जलापूर्ति की जाती है। महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम दूषित जल के वैज्ञानिक उपचार और निपटान के लिए जिम्मेदार है। औद्योगिक विकास बोर्ड के पास दूषित के जलशुद्धिकरण की कोई प्रणाली नहीं है। वहीं कारखानों में कर्मचारियों के लिए शौचालयों को जोड़ने की कोई व्यवस्था नहीं है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का निर्णय 

सातपुर और अंबड औद्योगिक क्षेत्रों में इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योगों के साथ-साथ रासायनिक अपशिष्टों को छोड़कर अन्य उपयोग वाले औद्योगिक क्षेत्रों को उपचारित करने की आवश्यकता है। इसके लिए औद्योगिक विकास निगम की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का निर्णय उद्योग मंत्री उदय सामंत के साथ हुई बैठक में लिया गया। उद्योग मंत्री ने उक्त परियोजना की अमृत-2 योजना के तहत विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। अमृत-2 योजना के लिए केंद्र सरकार को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट देना अनिवार्य है। 

नासिक महानगरपालिका क्षेत्र में अमृत-2 योजना लागू 

नासिक महानगरपालिका क्षेत्र में अमृत-2 योजना लागू है। महानगरपालिका क्षेत्र में सातपुर और अंबड औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं, लेकिन अमृत योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्र को सीधे काम के लिए प्रस्तावित नहीं किया जा सकता है। इसलिए औद्योगिक क्षेत्र में सीवेज की व्यवस्था के लिए महानगरपालिका को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। इसके बाद महासभा ने सलाहकार की नियुक्ति को हरी झंडी दी है। 

खर्च होंगे इतने करोड़ रुपए

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 200 करोड़ रुपए के व्यय की कल्पना की गई है। इस हिसाब से कंसल्टेंसी फर्म द्वारा 1.8 प्रतिशत शुल्क के हिसाब से 2 करोड़, 16 लाख रुपए खर्च किए जाने की उम्मीद हैं। सातपुर और अंबड औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के बाद एक ही समय में सीवेज उपचार परियोजनाओं को लागू करना आवश्यक था, लेकिन औद्योगिक विकास निगम ने कहा था कि यह महानगरपालिका की जिम्मेदारी है। महानगरपालिका ने भी इस मामले में हाथ खड़े करते हुए कहा कि इसकी जिम्मेदारी औद्योगिक विकास निगम की है। राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत के साथ हुई बैठक में अमृत-2 योजना के माध्यम से उक्त परियोजना को लागू करने का निर्णय लिया गया। उसी के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।