- नए वर्ष में मिलेगी कैदियों को सुविधाजनक जेल
- राज्य की 24,722 क्षमता वाली जेलों में 41,075 कैदी
- जेलों में क्षमता से अधिक बंदी, लेकिन स्टाफ क्षमता से कम
तारिक़ खान@नवभारत
मुंबई: वर्ष 2024 में कैदियों को नई जेलें (New prisons) मिलने की संभावना है। कैदियों की दिन-ब-दिन बढ़ती संख्या से महाराष्ट्र (Maharashtra) की जेलें हांफ रहीं हैं। वहीं कैदियों की बढ़ती संख्या के बीच राज्य की जेलों में कर्मचारियों भारी कमी देखी जा रही है। राज्य की 9 केंद्रीय जेलों सहित 37 जिला जेलें ‘ओवरफ्लो’ हो गई हैं। क्योंकि जेलों में कैदी जेल की क्षमता से अधिक हैं। इन सभी जेलों में कैदियों की कुल क्षमता 24 हजार 722 है, लेकिन वर्तमान में यहां 41,075 कैदी रखे गए हैं। इसलिए करीब 16 हजार 353 कैदी अतिरिक्त हैं। बताया गया है कि, यह संख्या कैदियों की उपलब्ध क्षमता से 166 फीसदी ज्यादा है। कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण, जेल के अंदर सरेआम अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। कारागृह में कैदियों की बढ़ती तादाद का मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि नासिक के कुख्यात ड्रग तस्कर ललित पाटिल द्वारा येरवडा जेल में बंद रहने के दौरान ड्रग रैकेट चलाने का मामला कुछ समय पहले सामने आया है।
मुंबई में आर्थर रोड, पुणे में येरवडा, ठाणे, तलोजा, कोल्हापुर, नासिक रोड, छत्रपति संभाजी नगर, नागपुर और अमरावती में नौ केंद्रीय जेल हैं। इसके अलावा 37 जिला जेल क्लास 1 और 19 खुली जेल हैं। रत्नागिरी में एक विशेष जेल, मुंबई में महिलाओं के लिए एक अलग जेल और नासिक में बच्चों के लिए एक सुधारगृह है।
जेलों में कैदियों की संख्या
मुंबई की आर्थर रोड जेल की क्षमता केवल 804 है, लेकिन इसमें 3,583 कैदी हैं। यहां 446 प्रतिशत अतिरिक्त अधिक है। ठाणे सेंट्रल जेल में 1,105 की क्षमता के मुकाबले 4,303 कैदी हैं। इसमें लगभग 3,198 अतिरिक्त कैदी हैं, जो 389 प्रतिशत से अधिक प्रतीत होता है। नौ केंद्रीय जेलों में आधिकारिक तौर पर 15,506 कैदियों को रखने की क्षमता है और वास्तव में उनमें 28,540 कैदी रहते हैं। येरवडा जेल की क्षमता 2,449 है. इसमें 6,989 कैदी रहते हैं। यहां अतिरिक्त प्रतिबंधों का अनुपात 285 प्रतिशत अधिक है। जिला जेल और अन्य जेलों में 9,216 कैदी क्षमता की तुलना में 12,535 कैदी रखे गए हैं।
HC की फटकार से जागी सरकार
राज्य की जेलों में भीड़ भाड़ के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए अतिरिक्त जेलों के निर्माण का आदेश दिया है। इसी के तहत अब राज्य सरकार ने कुछ नई जेलों के निर्माण का काम शुरू किया है।
आबादी-अपराध बढ़ने से जेल की संख्या घटी
पिछले 50 वर्षों में जिस रफ़्तार से आबादी बढ़ी है। उसके मुकाबले जेल की संख्या कम है। अपराधों में भी इजाफा हो रहा है। बहुत से कैदियों के पास मामूली केस के लिए भी जमानत के पैसे, डॉक्यूमेंट, जामीनदार नहीं होने की वजह से सालों से बंद है। (एडवोकेट एस-एम शोएब-जॉइंट सेक्रेटरी कुर्ला कोर्ट बार असोसिएशन)