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पिंपरी: जल प्रबंधन विषय पर जनसंवाद में पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका कमिश्नर और प्रशासक शेखर सिंह ने शहर की जलापूर्ति संबंधित यथा स्थिति, समस्याओं और आगामी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिंपरी-चिंचवड़ शहर (Pimpri-Chinchwad City) के लिए पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) वर्तमान में 540 एमएलडी पानी पवना बांध से 510 एमएलडी और एमआईडीसी से 30 एमएलडी पानी ले रही है।

हालांकि, पानी के रिसाव और चोरी की दर लगभग 40 प्रतिशत है। इसे रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। 24/7 जलापूर्ति योजना के तहत पानी की नई पाइपलाइन बिछाई जा रही हैं और नए नल लगाए जा रहे हैं। इसमें से अनधिकृत कनेक्शन मिल रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो शहर में अवैध नल कनेक्शन की संख्या करीबन 40 हजार है। इनके नियमितीकरण का कार्य चल रहा हैं।  

10 से 12 फीसदी पानी का रिसाव रोका गया

शहर के 40 फीसदी हिस्से में 24 बाय 7 योजना पूरी हो चुकी है। इससे 10 से 12 फीसदी पानी का रिसाव रोका गया है। लीकेज वाले स्थानों की तलाश की जा रही है। अनुमान है कि शहर में करीब 40 हजार अवैध पानी के कनेक्शन हैं। इसे अधिकृत करने की प्रक्रिया चल रही है। उनमें मीटर लगाकर पानी का बिल वसूल किया जाएगा। नए नल और पानी के मीटर की लागत 60 किस्तों में वसूली जाएगी। हालांकि, इसके बाद भी अगर अनधिकृत कनेक्शन पाए जाते हैं, तो आपराधिक आरोप दायर किए जाएंगे। शहर में पायलट आधार पर नौ हजार स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।

कंट्रोल रूम से की जा रही है मॉनीटरिंग 

उनके यहां जाकर रीडिंग लेने की जरूरत नहीं है, कंट्रोल रूम से उनकी मॉनीटरिंग की जा रही है। यह प्रायोगिक आधार पर है और भविष्य में सभी शहरों में स्मार्ट वाटर मीटर लगाने की योजना है। वर्तमान में चिखली में 300 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। कमिश्नर ने कहा कि आंध्र बांध से 267 एमएलडी और भामा-आस्केड बांध से 167 एमएलडी पानी मिलेगा।

24×7 जलापूर्ति के लिए लगेंगे 2 साल

पिंपरी-चिंचवड़ शहर की भौगोलिक संरचना को तीन भागों में बांटा गया है। मुला, पवना और इंद्रायणी नदी घाटियों की ऐसी स्थिति है। चूंकि मुला और पवना का संगम शहर में होता है, इसलिए भौगोलिक संरचना मुला-पवना और इंद्रायणी घाटियों के नाम से दो भागों में आती है। कुछ भाग चढ़ाई की ओर है और कुछ ढलान की ओर। दापोड़ी, सांगवी जैसे गांव सेक्टर 23 में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से काफी दूर हैं। इसलिए ऊंचे क्षेत्रों में पंपों के माध्यम से और निचले क्षेत्रों में टैंकों से सीधे गुरुत्वाकर्षण द्वारा पानी उठाकर पानी की आपूर्ति की जानी है। इसके अलावा, पानी का रिसाव और चोरी बड़े पैमाने पर होती थी। इसलिए नियमित, पर्याप्त प्रेशर और सुचारू जलापूर्ति के उद्देश्य से तत्कालीन प्रशासन ने तीन वर्ष पूर्व दिन के समय जलापूर्ति करने का निर्णय लिया है। 24×7 के तहत नए जल चैनल बिछाने और आंध्र, भामा-आस्केड परियोजना के तहत पानी की आपूर्ति शुरू होने के बाद पानी की आपूर्ति की सभी व्यवस्थाएं सुचारू हो जाएंगी। इसमें कम से कम दो साल लगेंगे। इसके बाद नियमित जलापूर्ति सुचारू हो सकेगी। 

ग्रामीण क्षेत्रों में 250 करोड़ रुपए के विकास कार्य

चिखली, मोशी, चऱ्होली, वाकड, ताथवडे, पुनावले, रावेत, किवले, मामुर्डी सहित समाविष्ट गांवों में 250 करोड़ रुपए के कार्य चल रहे हैं। इसमें 50 एमएमडी क्षमता के 29 नए टैंक बनाए जा रहे हैं। मुंबई-पुणे राजमार्ग के किनारे दापोदी, सांगवी, फुगेवाड़ी में वाणिज्यिक और आवासीय निर्माण की सुविधा के लिए एक अलग जल चैनल का काम चल रहा है। जल पुन: उपयोग योजना चारौली में 100 एमएलडी, चिखली में 20 और कासारवाडी में 75 एमएलडी क्षमता के वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे। इस पानी को औद्योगिक क्षेत्र को देने की योजना है। इसलिए एमआईडीसी द्वारा उपयोग किए जाने वाले पवना बांध से प्रतिदिन 70 एमएलडी पीने के पानी का उपयोग आवासीय क्षेत्रों के लिए किया जा सकता हैं। वर्तमान में एक घर में पांच लोगों को मानकर प्रतिदिन सात सौ लीटर पानी दिया जा रहा है। एक दिन में दो दिन के लिए पर्याप्त 1400 लीटर पानी दिया जा रहा है। नागरिकों को इसे स्टोर कर उपयोग करना पड़ रहा हैं। इसलिए कुछ हद तक पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। सिंह ने यह भी अपील की है कि अगर ऐसा है तो सभी को पानी की खपत के बारे में सोचना चाहिए। 

पीसीएमसी कमिश्नर ने की लोगों से ये अपील

उन्होंने नागरिकों से भी अपील की कि पानी की बर्बादी न करें और इसका सावधानीपूर्वक उपयोग करें। एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई होने के कारण कई लोग पानी स्टोर कर लेते हैं। नल में पानी आता है, उस दिन डालते हैं। ऐसा माना जाता है कि पानी खराब हो जाता है, लेकिन, पानी खराब नहीं होता। बरसात के मौसम में भरे बांध के पानी का हम साल भर उपयोग करते हैं। इसलिए जमा पानी को फेंके नहीं, पानी बचाना सबका कर्तव्य हैं।