Pimpri Chinchwad Municipal Corporation

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    पिंपरी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में स्थानीय निकायों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को बरकरार रखते हुए चुनाव (Elections) कार्यक्रमों की घोषणा दो सप्ताह में करने का आदेश दिया है। तदनुसार इस चुनाव के लिए तैयार तीन सदस्यीय वार्ड प्रणाली से स्थानीय निकायों के चुनावों की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि बीजेपी (BJP) की ओर से पुनः पिंपरी चार सदस्यीय वार्ड प्रणाली से चुनाव की मांग की जा रही है। 

    पुणे और पिंपरी-चिंचवड से यह मांग की गई है। मुंबई को छोड़कर राज्य में सभी महानगरपालिका के लिए तीन सदस्यीय वार्ड बनाए गए, तब राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार थी। अब जब बीजेपी और शिवसेना के बागी गुट सत्ता में आ गए तब बीजेपी ने निर्वाचन क्षेत्र के ढांचे में बदलाव की मांग की है क्योंकि बीजेपी का कहना है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समेत गठबंधन सरकार ने पुणे और पिंपरी-चिंचवड में उनके लिए तीन सदस्यीय वार्ड स्ट्रक्चर को सुविधाजनक बना दिया है। इसलिए वार्ड संरचना, मतदाता सूची आदि के खिलाफ शिकायतों की बरसात हो रही है।

    मड़ीगेरी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की हुई है

    अंतिम वार्ड संरचना के बाद अब अंतिम मतदाता सूची भी जारी हो गई है। इस बीच पुणे और पिंपरी- चिंचवड बीजेपी की ओर से पुनः चार सदस्यीय प्रणाली से चुनाव कराने की मांग की जा रही है। पुणे में बीजेपी प्रवक्ता संदीप खरडेकर के बाद अब पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका में स्थायी समिति के पूर्व सभापति विलास मड़ीगेरी ने भी चार सदस्यीय वार्ड प्रणाली से चुनाव कराने की मांग की है। इससे पहले मड़ीगेरी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। वार्ड संरचना और मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायतों को लेकर उनकी अदालती लड़ाई शुरू है।

    मड़ीगेरी ने लगाया ये आरोप

    अब मड़ीगेरी ने इस आरोप के साथ कि महाविकास आघाडी सरकार ने अपनी सुविधा के लिए तीन वार्ड सदस्यीय प्रणाली से महानगरपालिका चुनाव की मांग की है। उनका कहना है कि यह अवैध है। उन्होंने मांग की है कि चार सदस्यीय वार्ड ढांचा कोर्ट के आदेश के अनुरूप लागू किया जाए।इसके अलावा तीन सदस्यीय वार्ड ढांचा भी त्रुटिपूर्ण है।राज्य सरकार कानून के अनुसार चार सदस्यीय वार्ड प्रणाली फिर से कर सकती है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव घोषित होने से पहले, अध्यादेश को वापस लेकर सदस्यों की संख्या 3 से 4 तक बहाल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तीन सदस्यीय व्यवस्था में विषम संख्या में आरक्षण के कारण समाज के कुछ वर्गों के साथ आरक्षण में अन्याय होगा। यह 4 सदस्यीय प्रणाली में नहीं हो पायेगा।