पुणे: साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक गुडी पाड़वा (Gudhi Padwa) और हिंदू नववर्ष के दौरान प्रसाद और आमरस बनाने के लिए हापुस आमों (Hapus Mangoes) की काफी मांग रहती है, लेकिन हापुस आम पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ा है और फल में दाग लग रहे हैं। किसानों का अनुमान है कि दूसरे चरण में आम की अच्छी फसल होगी। बाजार में रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, रायगढ़ और कर्नाटक और केरल जैसे अन्य राज्यों से आम आ रहे हैं। इस साल पहले चरण का हापुस बड़ी संख्या में बाजार में आ रहे हैं। इसलिए पुणे के लोगों को गुड़ी पाड़वा के मौके पर हापूस पिछले साल के मुकाबले कुछ सस्ता मिला। व्यापारियों ने बताया कि हापुस का उत्पादन हालांकि कम है, लेकिन बाजार में मौजूदा आवक अच्छी है।
मंगलवार को कोंकण से करीब 1,000 से 1,500 पेटी फल मंडी में पहुंची। साथ ही व्यापारी पड़वा के लिए हापुस को विशेष रूप से तैयार करते रहते हैं। कई व्यापारी गुड़ी पाड़वा के समय का उपयोग बाजार से खरीदारी करने और खुदरा बिक्री के लिए करते हैं।
इस तरह हुआ नुकसान
- बरसात का मौसम जैसे-जैसे लंबा होता है, पलवी की मात्रा सबसे अधिक होती है
- कुछ स्थानों पर आम में फफूंद जनित रोग का संक्रमण
- उच्च तापमान के संपर्क में आने के कारण आम जल गए है
- अधिक तापमान के कारण आम पर काले धब्बे
- जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों के गलने का मामला बढ़ा
- पिछले साल की तुलना में इस साल उत्पादन में 30 से 40 फीसदी की कमी आएगी
तूफान और बारिश से कोई नुकसान नहीं। नवंबर, दिसंबर में आम का बड़ा नुकसान हुआ है। इसमें टेस्ट कम है। दूसरे-तीसरे चरण के आम अब मई में भारी मात्रा में आएंगे। तापमान अधिक होने से आम जल गए है।
-गणेश झगडे, किसान, रत्नागिरी
15 अप्रैल के बाद रत्नागिरी, रायगढ़, सिंधुदुर्ग जिलों में खाड़ियों से आमों की आवक काफी हद तक बढ़ जाएगी। दूसरे फेज में माल की आवक अधिक होगी। वर्तमान समय में प्रतिदिन दो हजार डिब्बे बाजार में आ रहे हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल आम कुछ सस्ते हैं। हापुस आम लोगों की पहुंच में होगा।
- अरविंद मोरे, व्यापारी, मार्केट यार्ड