Sharad pawar in Yeola
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-दीपक मुनोत

पुणे: शरद पवार (Sharad Pawar) ने 35 वर्ष पहले येवला (Yeola ) में सभा की थी। उस सभा का मैं खुद गवाह रहा हूं। उस सभा की तुलना में इस बार दोगुने से अधिक रिस्पांस मिल रहा हैं। शरद पवार ने एक बार फिर से राजनीति (Politics) में अपना दबदबा मजबूत कर लिया है। सभा में उपस्थित रायभान पाटिल ने इन शब्दों के साथ आगामी राजनीति को लेकर सांकेतिक भविष्यवाणी की है।

अजित पवार ने अपने चाचा के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी हासिल की और राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया। उन्हें छगन भुजबल समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं का साथ मिलने के कारण राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के कई कार्यकर्ता भ्रम के भंवरजाल में फंस गए हैं, लेकिन पार्टी में फिर से जान फूंकने के लिए मैदान में उतरुंगा। यह घोषणा खुद शरद पवार ने की है। इसके फौरन बाद उन्होंने येवला दौरे की घोषणा और उनकी वहां सभा हुई। इस सभा का वर्णन लोगों ने काफी सटीक तरीके से किया है।

लोगों ने पुरानी यादों को ताजा किया

शरद पवार राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर कार्यरत रहते हुए 80 के दशक में येवला के शनि मंदिर के प्रांगण में एक सभा को संबोधित किया था। उस सभा में उपस्थित रहे रायभान पाटिल और अन्य लोगों ने पुरानी यादों को ताजा किया। इन्हीं यादों में राजनीति से जुड़े कई सारे सवालों का जवाब मिलता है। पार्टी को फिर से खड़ा करना 82 वर्ष की उम्र में शरद पवार से नहीं हो पाएगा। ऐसा सवाल जिनके दिमाग में था, उन्हें भी इससे जवाब मिलता दिखाई दे रहा है। येवला में सभा की घोषणा होने के बाद राज्य में ही नहीं, बल्कि देशभर के राजनीतिक समीक्षकों की नजरें इस सभा पर टिकी थी। यही कारण है कि नेशनल मीडिया के प्रतिनिधि भी इस सभा को कवर करने पहुंचे थे।

आगामी राजनीतिक संघर्ष की दिशा स्पष्ट की

येवला निर्वाचन क्षेत्र का चयन कर पवार ने अपने आगामी राजनीतिक संघर्ष की दिशा स्पष्ट कर दी है। मराठा समाज के साथ-साथ माली, वंजारी समाज का यहां प्रभुत्व है। स्थानीय विधायक छगन भुजबल माली समाज से आते हैं। उनके द्वारा पाला बदलने का जिक्र करते हुए पवार ने माली समाज के दूसरे सांसद अमोल कोल्हे को मंच पर काफी सम्मान दिया। इसके जरिए माली समाज के लोगों को साधने का उनका प्रयास दिखाई देता है। सांसद कोल्हे की वाकपटुता और अपने बेहतरीन अदाकारी से उनके द्वारा निभाया गया छत्रपति संभाजी महाराज का पात्र, इससे समाज में उनके प्रति एक अलग आकर्षण दिखाई देता है। इन सभी बातों को देखते हुए शरद पवार ने यह मोहरा अपने साथ रखा है। वे इस राजनीतिक चाल में काफी हद तक सफल भी होते दिखाई दे रहे है।

नये राजनीतिक समीकरणों का श्रीगणेश 

कोल्हे की ओर से दिए गए जोशीले भाषण को श्रोताओं का भी काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। यह बात केवल पवार को ही नहीं, बल्कि उनके साथ पार्टी में मौजूद कार्यकर्ताओं को भी राहत देने वाला है। एक ओर कोल्हे और दूसरी तरफ वंजारी समाज के स्थानीय नेता, शिवसेना के विधायक नरेंद्र दराडे को भी पवार ने अपने मंच पर बगल में बैठाकर उन्हें अच्छा सम्मान दिया। दराडे निरंतर भुजबल द्वारा सताए गए एक राजनीतिक शख्स है। भुजबल हमें आगे बढ़ने में हमेशा बाधा पैदा करते हैं। ऐसी उनकी हमेशा की शिकायत रही है। ऐसे में वंजारी समाज के इस नेता को अपने साथ रख पवार ने नये राजनीतिक समीकरणों का श्रीगणेश कर दिया है।

आगामी प्रचार के मुद्दे भी स्पष्ट

शरद पवार की सभा येवला में होने के बावजूद भी राज्य में उनकी नीति कैसी रहेगी, इसकी झलक इसके माध्यम से दिखाई दी। अपने विरोध में गए लोगों का जिक्र न करना और गृह कलह के विषय को टालते हुए उन्होंने बीजेपी के किसान और युवक विरोधी नीतियो को समाज के समक्ष रखने का काम किया। यही उनके आगामी प्रचार के मुद्दे भी हो सकते हैं। यह भी अब स्पष्ट हो चुका है।

भुजबल को याद आए महात्मा फुले

एमपी अमोल कोल्हे की शरद पवार की सभा में उपस्थिति का असर माली समाज के नेता के तौर पर माने जाने वाले नेता भुजबल पर भी दिखाई दिया। यही कारण है कि भुजबल सोमवार को ही दौड़े-दौड़े महात्मा फुले के स्मारक पहुंचे। वास्तविकता में देखें तो मंत्री पद मिलने के बाद भुजबल सबसे पहले पुणे आते तो माली समाज को एक अलग संदेश मिलता, लेकिन पवार के साथ-साथ हमें भी मीडिया में अच्छा कवरेज प्राप्त होगा, ऐसी ईर्ष्या रखने वाले भुजबल ने शनिवार को यह अवसर गंवा दिया और कुश्ती के इस दंगल में पवार बाजी मार गए।

शहरी मतदाताओं को आकर्षित करने की होगी चुनौती

यह सभा येवला शहर में थी, लेकिन सभा में शहर से कम और आस-पास के ग्रामीण इलाकों से आए लोगों की उपस्थिति काफी ज्यादा थी। शहरी इलाकों में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सुप्रिया सुले, रोहित पवार को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। यह वास्तविकता उन्हें स्वीकार करने की जरूरत है।