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    पिंपरी: शिवसेना (Shiv Sena) के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के विद्रोह ने महाविकास आघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi Govt.) को अस्थिर कर दिया है। विद्रोही समूह ने दावा किया है कि राज्य सरकार अल्पमत में है, इससे राज्य में सरकार बदलने की उम्मीद है। सत्ता परिवर्तन के बाद अगर देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह पिंपरी-चिंचवड़ शहर के लिए लाभदायक साबित होंगे क्योंकि इस बात की प्रबल संभावना है कि इससे शहर के मंत्री पद का बैकलॉग भी भर जाएगा।

    2014 में जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे तो यह माना गया था कि पिंपरी-चिंचवड़ को कम से कम राज्य मंत्री का पद मिलेगा। खुद फडणवीस ने खुद पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका में बीजेपी के सत्ता में आने पर शहर में मंत्री पद देने की घोषणा की थी। हालांकि सत्ता मिलने के बाद भी मंत्रिपरिषद के विस्तार में मावल को मंत्री पद दिया गया। चिंचवड़ के लक्ष्मण जगताप और भोसरी के महेश लांडगे शहर के दो मजबूत बीजेपा के विधायक थे। इसके लिए उनके पास एक मजबूत रणनीति भी थी। दोनों विधायकों के समर्थकों में उम्मीद थी कि उनके ही विधायक को मंत्री पद मिलेगा। इस रस्साकशी से कोई नाराज़ न हो, इसलिए बीजेपी ने मावल के वफादार विधायक बाला भगड़े को मंत्री बनाकर पिंपरी-चिंचवड़ में संभावित विवाद को बड़ी चतुराई से टाला था।  हालांकि, शहर मंत्री पद के मौके से चूक गया।  

    2019 में नहीं मिल पाया था मौका

    2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को फिर से सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। इसमें लक्ष्मण जगताप और महेश लांडगे को फिर से निर्वाचित हुए, जिससे पिंपरी-चिंचवड़ शहर को फिर से मंत्री पद मिलने की उम्मीद जगी। हालांकि, अंतिम समय में शिवसेना ने सत्ता स्थापित करने के लिए बीजेपी के बजाय दोनों कांग्रेस दलों के साथ गठबंधन किया और पिंपरी-चिंचवड़ को फिर से मंत्री पद से दूर कर दिया। संयोग से एकनाथ शिंदे की शिवसेना में अब तक के सबसे बड़े बगावत के कारण यह मौका फिर से आया है। सूत्रों का कहना है कि विद्रोहियों के इस समूह के बीजेपी का समर्थन करने की संभावना है क्योंकि बीजेपी ने उन्हें बगावत के लिए सारी रसद मुहैया कराई है। अगर ऐसा होता है और राज्य में फिर से बीजेपी की सरकार आती है और फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं तो विधायक लांडगे के मंत्री बनने के आसार हैं क्योंकि वे फडणवीस के सबसे करीबी नेताओं में से है। 

    लांडगे ही मंत्री पद के प्रबल दावेदार 

    वहीं शहर के दूसरे विधायक जगताप इस समय जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में विधायक लांडगे ही मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। चूंकि मावल में अभी बीजेपी का कोई विधायक नहीं है, इसलिए लांडगे की दावेदारी इस बार और मजबूत हो गई है। इसने उम्मीदों को पुनर्जीवित किया है कि शहर को पहली बार मंत्री पद मिलेगा। सोशल मीडिया पर विधायक लांडगे के कुछ समर्थक भी अपने विधायक को सीधे कैबिनेट मंत्री बना दिया है। कुल मिलाकर अगर शिवसेना का शिंदे विद्रोह सफल होता है, तो संकेत हैं कि यह बीजेपी के भोसरी विधायक के लिए लाभदायक साबित होगा।