Pune Pollution

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    पुणे: स्वच्छ, सुंदर और प्रेम करने योग्य पुणे की आवोहवा बदल रही है। लगातार यहां के वायु की गुणवत्ता (Air Quality) पर सवाल खड़े हो रहे है। प्रदूषण (Pollution) के बढ़ने से हवाओं में धूलकण की मात्रा बढ़ी है, जिसने बड़ी चिंता पैदा कर दी है। मौसम में आए बदलाव, चल रही हवा और वातावतरण के प्रदूषणकारी कणों की मात्रा बढ़ने से पुणे की हवा की गुणवत्ता में आई गिरावट दर्ज किया गया है। शिवाजी नगर और भूमकर चौक की हवा की गुणवत्ता लगातार चार दिन बेहद खराब श्रेणी तक पहुंच गई थी। इस वजह से इन भागों के वातावरण में कुहासा नहीं, बल्कि स्मॉग देखने को मिला।

    एक तरफ नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत पुणे का वायु प्रदूषण कम करने का प्रयास जारी हैं। वहीं लगातार दो वर्ष से शीत ऋतु में वायु प्रदूषण चिंताजनक बनी हुई हैं। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विभाग (आईआईटीएम) की तरफ से सफर योजना के तहत हर दिन शहर के विभिन्न भागों के दस केंद्रों के जरिए हवा में सूक्ष्म धुलकण (पार्टिक्युलेट मैटर 10), अतिसूक्ष्म धुलकण (पीएम 2.5) सहित विभिन्न प्रदूषण सूचकांक को नोट किया जाता है। इसके आधार पर हवा की गुणवत्ता तय की जाती है। पिछले सप्ताह भर से तापमान में उतार चढ़ाव जारी है। हवाएं चल रही है। इस वजह से हवा में उंचाई पर जाकर गायब होने वाले सूक्ष्म धुलकण हवा में ही घूमने से गुणवत्ता गिरी है।

    सफर ने जारी किया आंकलन

    सफर के आंकलन के मुताबिक, रविवार को दिन भर हवा में सूक्ष्म (पार्टीक्यूलेट मैटर 10) और अति सूक्ष्म धुलकण (पीएम 2.5) की मात्रा अधिक होने से शिवाजी नगर, भूमकर चौक में बेहद खराब और कोथरुड, भोसरी, हडपसर में हवा की गुणवत्ता खराब दर्ज की गई। निगडी, कात्रज, आलंदी, लोहगांव, पाषाण भाग में हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी की दर्ज की गई। सफर के एक भी केंद्र में हवा की गुणवत्ता उत्तम अथवा संतोषजनक दर्ज नहीं की गई।

    लोगों के स्वास्थ्य को खतरा

    अति सूक्ष्म धुलकण सांस के जरिए सीधे फेफड़े तक जाता है। ऐसे में हवा में इसकी मात्रा बढ़ने से नागरिकों के स्वास्थ्य की दृष्टि से यह सही नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में पुणे की हवा में अति सूक्ष्म धुलकण की मात्रा बढ़ रही है। हवा की गुणवत्ता गिरावट के लिए हर बार वातावरण में आ रहे बदलाव को दोष देना सही नहीं है। इस तरह की आपत्ति राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नियुक्त टास्क फोर्स से जताई है। वातावरण के प्रदूषण को कम करने का प्रयास होना चाहिए। वातावरण में सूक्ष्म, अति सूक्ष्म धुलकण की मात्रा कम रहती है तो टेम्परेचर कितना भी नीचे चला जाए इसके बावजूद हवा की गुणवत्ता गिरेगी नहीं। इसलिए टास्क फोर्स ने प्रशासन से प्रदूषण के स्रोतों पर काम करने की मांग की है।