पुणे. शहर (City) के एकबोटे दंपति (Ekbote Couple) ने चौबिसों घंटे पहरेदार बनकर देश की रक्षा करने वाले सेना के जवानों (Army Personnel) के साथ राखी का अनोखा रिश्ता बनाया है। खास बात यह कि, जवानों को राखियां भेजने का इस दंपति का यह उपक्रम पिछले 11 वर्षों से जारी है।
देश की रक्षा करने वाले सेना के जवानों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के उद्देश्य से पुणे स्थित भारतीय संस्कृति संरक्षण संस्था के डॉ. नंदकिशोर एकबोटे और समृद्धि एकबोटे ने जवानों को राखी भेजने का उपक्रम शुरू किया। उनके इस कार्य की जानकारी जैसे-जैसे लोगों को होने वाली, वैसे-वैसे पुणे शहर और जिले से कई सारे लोग जवानों को राखियां भेजने के लिए एकबोटे दंपति के पास भेजने लगे। यह दंपति सभी राखियां जवानों तक पहुंचाने का काम करते है।
जुड़ गया रेशमी धागे का रिश्ता
एकबोटे दंपति भी बीते करीब एक दशक से भी अधिक समय से अविरत यह उपक्रम जारी रखे हुए है। इस राखी के चलते एकबोटे दंपति का सेना के जवानों के साथ एक रेशम सा रिश्ता जुड़ गया है। एकबोटे दंपति द्वारा भेजी गई यह राखियां जब देश की सीमाओं पर तैनात जवानों को मिलती है, तब जवान भी काफी खुश हो जाते है। इस बार एकबोटे दंपति ने सेना के 59वीं रेजीमेंट को राखियां भेजी है। इस दंपति की ओर से खडकी के पैराप्लेजिक रिहैबिलिटेशन सेंटर में जाकर भी वहां के जवानों को राखियां दी जाती है। लेकिन अब कोरोना के चलते उन्होंने यह राखियां पोस्ट से भेजी है।
जवान अचानक पहुंचे घर
अपने एक अनुभव के बारे में एकबोटे दंपति ने बताया कि, जवानों को राखियां भेजने के उनके इस उपक्रम से जवान काफी खुश हुए। एक दिन 18 शीख रेजीमेंट के जवान उनका पता ढूंढ़ते हुए अचानक घर पर पहुंचे। इन जवानों को देखकर एकबोटे दंपति गद्गद् हो गए। उन जवानों ने बताया कि, आपकी राखियां हमें नियमित तौर पर मिलती है, इसले हम इस संदर्भ में कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आपके पास आए है। एकबोटे दंपति को कई बार सैनिकों की ओर से राखियां भेजने के लिए आभार जताने वाले पत्र मिलते है। इस तरह से एकबोटे दंपति का देश की सेना के साथ अनोखा रिश्ता जुड़ गया है।