seema savle

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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) ने संपत्ति कर (Property Tax) के बकायेदारों की कार (Car), फ्रिज, टीवी (TV) जब्त करने का फैसला किया हैं। प्रशासन का यह फैसला बेहद गलत है और इससे शहर की छवि धूमिल हो सकती है। साथ ही समाज और उसके परिवार में नाच-गाकर बकाया वसूलना हमारी संस्कृति नहीं है, यह स्पष्ट करते हुए स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष सीमा सावले (Seema Sawale) ने पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका कमिश्नर शेखर सिंह (Pimpri-Chinchwad Municipal Commissioner Shekhar Singh) से तत्काल इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है।

    सीमा सावले ने अपने पत्र में कहा है कि कोरोना के कारण पिछले ढाई साल में हजारों लोगों की नौकरी चली गई है। बैंक की किस्तों में चूकने के कारण कई लोगों को अपना सब कुछ गंवाना पड़ा। कई घरों के कमाने वाले भूखे मर गए। देशभर से लाखों लोगों के पलायन की तस्वीर है। गरीबों और बेरोजगारों के हाथ बेरोजगार होने के कारण समाज में काफी असंतोष है। इन सब परिस्थितियों से पार पाकर अब शहर के व्यवसायी कहीं खड़े हो रहे हैं। तब संपत्ति कर वसूली के लिए लोगों के घरों से कार, फ्रिज, टीवी जैसे घरेलू सामान जब्त करने का आदेश बेहद गलत लगता है। इस तरह से आम जनता का अपमान करना ठीक नहीं होगा।

    …तो कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है

    सीमा सावले ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि शत-प्रतिशत संपत्ति कर वसूला जाए। हालांकि बकाया वसूलने की एक सामान्य कानूनी प्रथा है, जिसमें पहले करदाताओं को एक नोटिस भेजना, फिर एक अंतिम नोटिस और अंत में एक फौजदारी कार्रवाई शामिल है। अन्यथा कोर्ट के माध्यम से भी वसूली की जा सकती है। हालांकि हम सीधे कारों, टीवी को जब्त करने की चेतावनी दे रहे हैं, यह बहुत गंभीर है। अगर महानगरपालिका पठानी तरीके से आयकर जमा कर रही है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। यहां तक कि कानून व्यवस्था की समस्या भी हो सकती है। यदि वसूली का ऐसा तरीका अपनाया जाता है, तो कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है, जिसके लिए पूरा प्रशासन जिम्मेदार होगा, यह चेतावनी देते हुए सावले ने कहा कि कुछ जगहों पर टैक्स को लेकर विवाद भी हैं, हमने महानगरपालिका की आम सभा में मांग की थी कि संपत्ति कर माफ किया जाए क्योंकि कोरोना काल में वित्तीय संचलन बंद था। बकाया वसूली के लिए कानूनी रास्ता अपनाया जाए। समाज और उसके परिवार में नाच-गाकर बकाया वसूल करना हमारी संस्कृति नहीं है।