पुणे: महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार अप्रत्याशित घटना घटी है। आलंदी में संत ज्ञानेश्वर के पालकी प्रस्थान कार्यक्रम के पहले दिन मंदिर में प्रवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस दौरान पुलिस ने वारकरियों (भगवान विठ्ठल के भक्तों) को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। इस दौरान पुलिस द्वारा वारकरी भक्तो पर कथित तौर पर लाठीचार्ज भी किया गया। अब इसे लेकर महाराष्ट्र के राजनीती गरमा गई है। विपक्ष सरकार पर टूट पड़ा है। हालांकि, गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस आरोप का खंडन किया है। लेकिन वारकरी भक्तों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर संभाजी ब्रिगेड आक्रामक हो गया है।
संभाजी ब्रिगेड ने दी सीएम को चेतावनी?
संभाजी ब्रिगेड के पदाधिकारी संतोष शिंदे ने राज्य की शिंदे फडणवीस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए वारकरी भक्तों से माफी मांगनी चाहिए। अन्यथा, मुख्यमंत्री को आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर में पैर रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि आलंदी के एक कमरे में वारकरी भक्तों की जो पिटाई हुई वो शिंदे-फडणवीस सरकार की अक्षमता है। वारकरी पर हमले की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए माफी मांगें।
आलंदी में वरकरियों पर लाठीचार्ज नहीं हुआ: फडणवीस
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे जिले के आलंदी कस्बे में पुलिस द्वारा वरकरियों पर लाठीचार्ज की खबरों का रविवार को खंडन किया। उन्होंने कहा कि वरकरियों (भगवान विठ्ठल के भक्तों) और पुलिस के बीच मामूली हाथापाई हुई। उन्होंने नागपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘वरकरी समुदाय पर कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ।”
हालांकि, विपक्षी दलों ने दावा किया कि पुलिस ने वरकरियों पर लाठीचार्ज किया और विपक्ष ने इसकी उच्च स्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की। यह घटना उस वक्त हुई जब भक्त आलंदी शहर में संत ज्ञानेश्वर महाराज समाधि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।