नई दिल्ली/मुंबई. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) एकनाथ शिंदे समूह (Eknath Shinde Faction) के विधायकों को अयोग्य ठहराने से महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर (Rahul Narwekar) के इनकार करने वाले फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई अप्रैल के दूसरे सप्ताह में करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों से 1 अप्रैल या उससे पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।
ज्ञात हो कि नार्वेकर ने 10 जनवरी को एक आदेश में जून, 2022 में विभाजन के बाद शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को “मूल राजनीतिक दल” घोषित किया था। उन्होंने शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध संबंधी ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था।
Supreme Court lists in the second week of April for hearing petition by Shiv Sena- Uddhav faction challenging Maharashtra Speaker’s refusal to disqualify MLAs of Eknath Shinde group. SC asks the respondents to file the reply on or before April 1.
— ANI (@ANI) March 7, 2024
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शिंदे गुट द्वारा ठाकरे खेमे पर रिकॉर्ड में जालसाजी किये जाने का आरोप लगाने के बाद मूल दस्तावेज मांगा है। कोर्ट ने पहले ठाकरे समूह की याचिका पर नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने शिंदे और उनके विधायकों को 1 अप्रैल या उससे पहले जवाब दाखिल करने के लिए कहा और याचिका को 8 अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। पीठ ने कहा कि वह याचिका की विचारणीयता के मुद्दे को खुला रख रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की एक याचिका पर 22 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे और कुछ अन्य विधायकों से जवाब मांगा था। ठाकरे गुट ने विधायक सुनील प्रभु के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि शिंदे ने “असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली” और “असंवैधानिक सरकार” का नेतृत्व कर रहे हैं।
पीठ ने ठाकरे समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी की उन दलीलों पर ध्यान दिया कि दलबदल के बाद “विधायी बहुमत और संगठनात्मक बहुमत” के बीच अंतर था। वरिष्ठ वकील ने कहा कि एक फैसले में कहा गया था कि दलबदल के बाद विधायी बहुमत का मतलब वास्तविक बहुमत नहीं होगा। यह पता लगाने के लिए कि कौन सा गुट मूल पार्टी है, प्रधान न्यायाधीश ने “विधायी बहुमत” के परीक्षण के उपयोग पर सवाल उठाते हुए, अध्यक्ष के आदेश का हवाला दिया और कहा, “क्या यह फैसले के विपरीत नहीं है? संपूर्ण प्रस्तुतिकरण हमारी अदालत के फैसले के विपरीत है।”
शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी एक हालिया फैसले का हवाला दिया और कहा कि उच्च न्यायालय को इस पर सुनवाई और निर्णय लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, जो सिंघवी के साथ ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए, ने कहा कि इस मामले में समय बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त हो रहा है, और इसलिए, मामले को उच्च न्यायालय में भेजने से पूरा मुद्दा ‘निरर्थक’ हो जाएगा।
अदालत ने कहा कि वह आठ अप्रैल को अंतिम दलीलें सुनेगी और ठाकरे गुट की याचिका की विचारणीयता सहित अन्य मुद्दों पर फैसला करेगी। अयोग्यता याचिकाओं पर अपने फैसले में विधानसभा अध्यक्ष ने प्रतिद्वंद्वी खेमे के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया था। अध्यक्ष ने कहा था कि जून 2022 में जब पार्टी विभाजित हुई तो शिंदे समूह को शिवसेना के कुल 54 विधायकों में से 37 का समर्थन प्राप्त था। (एजेंसी इनपुट के साथ)