शिवाजी पार्क के बाद कल्याण के दुर्गाड़ी किले में नवरात्रि उत्सव को लेकर शिंदे गुट और ठाकरे गुट हुए आमने-सामने

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    कल्याण : एक तरफ जहां शिवजी पार्क (Shivji Park) में दशहरा सभा के लिए शिवतीर्थ (Shivtirth) की अनुमति को लेकर खींचतान चल रही है। वहीं अब कल्याण के ऐतिहासिक दुर्गाड़ी किले (Durgadi Fort) में नवरात्रि पर्व (Navratri Festival) को लेकर एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde Group) और उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray Group) आमने-सामने आ गए हैं। शिवसेना के माध्यम से 5 दशकों से अधिक समय से मनाए जा रहे दुर्गाड़ी किले में नवरात्रि उत्सव की अनुमति को लेकर इन दोनों समूहों का आमना-सामना हो रहा है। ऐसे में हर कोई यही सोच रहा है कि ठाणे कलेक्टर इस पूजा की इजाजत किसको देते हैं। 

    दादर के शिवजी पार्क (शिवतीर्थ) पर दशहरा सभा की अनुमति से पिछले कुछ दिनों से शिंदे गुट और ठाकरे गुट में तनातनी शुरू है। वहीं कुछ ही दिन में शुरू होने वाले नवरात्री उत्सव को लेकर नवरात्रि पर्व के दौरान दुर्गाड़ी किले पर पूजा करने के लिए शिवसेना के दोनों गुट आमने-सामने आ गए हैं। दुर्गाड़ी किले में पूजा के इतिहास को देखें तो आमतौर पर यह साठ के दशक से होता है कि 1968 कल्याण शहर शिवसेना ने इस त्योहार को मनाना शुरू किया। शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे जो उस समय शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे अपनी पत्नी मीनाताई ठाकरे के साथ दुर्गाड़ी किले में आए थे और उन्होंने दुर्गा देवी की पूजा की थी। तब से लेकर आज तक देवी दुर्गा का नवरात्रि पर्व लगभग 54 वर्षों यानि पांच दशकों से भी अधिक समय से लगातार मनाया जा रहा है। 

    दोनों गुटों ने दुर्गाड़ी किले में नवरात्रि उत्सव के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी

    शिवसेना का शहर प्रमुख दुर्गाड़ी किला में दुर्गा देवी की पूजा कर नवरात्रि उत्सव की अध्यक्षता करता है। लेकिन दो महीने पहले महाराष्ट्र में आए राजनीतिक भूकंप के चलते इस साल तस्वीर कुछ अलग है। शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट में फूट पड़ गई है और एकनाथ शिंदे के गुट और उद्धव ठाकरे के गुट में टकराव जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इसलिए दोनों गुटों ने दुर्गाड़ी किले में नवरात्रि उत्सव के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी है। एकनाथ शिंदे समूह के विधायक विश्वनाथ भोईर और उद्धव ठाकरे गुट के शहर प्रमुख सचिन बासरे ने आवेदन दिया है। कलेक्टर अब क्या फैसला लेते हैं, इस पर दोनों गुटों की नजर टिकी हुई है। जिससे दोनों गुटों में संघर्ष होने की संभावना बढ़ गई है।