कल्याण : स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव (Amrit Festival) के उपलक्ष्य में वालधुनी नदी (Waldhuni River) के संरक्षण (Conservation) के लिए की जा रही भूख हड़ताल (Hunger Strike) को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है और संघर्ष लोकतांत्रिक तरीके से जारी रहेगा। वालधुनी नदी के संरक्षण और विकास के प्रति सरकार और प्रशासन की अक्षम्य उपेक्षा को देखते हुए वालधुनी स्वच्छता समिति के के द्वारा संघर्ष जारी हैं। लेकिन कुछ मुठ्ठी भर लोग कई वर्षों से सभी स्तरों पर इस मुद्दे को दबा रहे हैं। जबकि कि हर स्तर के लोग कई सालों से इस विषय से जूझ रहे हैं। वालधुनी नदी विकास और वालधुनी नदी और उल्हास नदी के संगम पर करोड़ों रुपए की लागत से जनता को बेची गई नीची जमीन पर खड़ा स्मार्ट सिटी पार्क और नदी के तल में बनी दीवार को डूबने से बचाने के लिए। यह वास्तव में केडीएमसी के इंजीनियरों द्वारा दुनिया का आठवां अजूबा है।
पिछले चार साल से यह ड्रीम प्रोजेक्ट पानी में गोता लगा रहा है। अगर वही पैसा वालधुनी नदी के संरक्षण के लिए इस्तेमाल किया जाता तो सैकड़ों जिंदगियां डूबने से बच जाती, लेकिन अब इन बाढ़ प्रभावित परिवारों के रोने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके लिए वालधुनी नदी स्वच्छता समिति ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर महानगरपालिका प्रशासन को भूख हड़ताल की चेतावनी दी थी।
जैसे ही इस उपवास की तैयारी शुरू हुई। केडीएमसी ने अनुरोध किया कि उपवास को वापस लिया जाए। उन्होंने वालधुनी नदी के संरक्षण और विकास के लिए अगले कदमों पर टिप्पणी करने से परहेज किया। इसलिए समिति के पदाधिकारियों ने केडीएमसी अधिकारियों और इंजीनियरों की अक्षमता पर पर्दा नहीं डालने के लिए अनशन समाप्त कर दिया। क्यों कि देश भर में 75वीं स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव उत्साह के साथ मनाया जा रहा हैं। वालधुनी नदी स्वच्छता समिति ने कहा कि नदी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए प्रशासन के खिलाफ संघर्ष लोकतांत्रिक तरीके से जारी रहेगा।