ठाणे : राज्य सरकार (State Government) ने ठाणे (Thane) में वैध इमारतों (Valid Buildings) को को क्लस्टर विकास योजना (Cluster Development Plan) में शामिल किये जाने की अनिवार्य (Compulsory) कर दिया है। इस संदर्भ में जीआर भी निकाला गया है। जिसके अनुसार न शामिल होने वाले इमारतों के मालिकों पर एमआरटीपी के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। ऐसे में हिस्सा लेने के लिए बाध्य करने वाला कानून बनाया है। सूत्रों ने बताया कि योजना में भाग नहीं लेने की स्थिति में एमआरटीपी अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान है और यदि शासकीय भवन के निवासी योजना में निर्माण की अनुमति मिलने तक भाग नहीं लेते हैं तो उनके फ्लैटों का अधिग्रहण कर लिया जायेगा।
ठाणे में अवैध खतरनाक इमारतों, चालों और झोपड़ पट्टियों के पुनर्विकास के लिए एक क्लस्टर योजना की योजना बनाई गई है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन पर बेहद जोर दे रहे हैं। इसके लिए ठाणे क्लस्टर विभाग में नगर नियोजन के क्षेत्र के विशेषज्ञ अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। हालांकि कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन हो चुका है, लेकिन वास्तविक काम शुरू नहीं हुआ है। ठाणे महानगरपालिका सहित कुछ संगठनों ने परियोजना में तेजी लाने के लिए नियमों में बदलाव की मांग की थी। तदनुसार, राज्य के शहरी विकास विभाग ने संशोधन किया और संशोधित नियमों की घोषणा की। क्लस्टर योजना के लिए तैयार शहरी पुनर्निर्माण योजना में अनाधिकृत भवनों, झोपड़ पट्टियों और शासकीय भवनों के प्लाटों को शामिल किया गया है। इनमें से कई भवनों के निवासी क्लस्टर योजना में शामिल होने का विरोध कर रहे हैं। यद्यपि उन्होंने महानगरपालिका के साथ पुनर्विकास के लिए एक अलग प्रस्ताव दायर किया है, लेकिन अनुमति से इनकार कर दिया गया है। इस मामले में विशेषज्ञ कुछ अधिकारियों की राय है कि क्लस्टर योजना को लागू करना संभव नहीं होगा। महानगरपालिका सूत्रों से मिली जानकारी की अनुसार वैध इमारतों को जबरन क्लस्टर में शामिल करने के लिए एक कानून पारित किया गया है।
क्या है नया कानून?
क्लस्टर योजना में पात्र लाभार्थी स्वेच्छा से योजना से जुड़ते हैं तो उन सहूलियत दी जाएगी और जो नहीं जुड़ते उनके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। फ्लैटों का आवंटन किसी भी रूप में नहीं बदला जा सकता है। यदि वे योजना के अनुमोदन के 15 दिनों के भीतर शामिल नहीं होते हैं, तो उनके खिलाफ एमआरटीपी के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई शुरू होने के बाद, वे फ्लैट धारक संक्रमणकालीन फ्लैटों के साथ-साथ पुनर्निर्मित फ्लैटों के लिए भी अपात्र होंगे। अन्य के चयन के बाद वे शेष फ्लैटों के लिए पात्र होंगे। यह फ्लैट उसी जगह या कहीं और हो सकता है। योजना में भाग न लेने पर किसी भी निर्मित फ्लैट का अधिकार पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा और उनके फ्लैट का आयुक्त द्वारा अधिग्रहण कर लिया जाएगा।
एमआरटीपी एक्ट के अनुसार होगी कार्रवाई
ठाणे महानगरपालिका की शहरी पुनर्निर्माण योजना में 60 प्रतिशत अनधिकृत इमारत, स्लम क्षेत्र और 40 प्रतिशत आधिकारिक इमारत शामिल हैं। सूत्रों ने जानकारी दी है कि संशोधित कानून में क्लस्टर योजना को लागू करने के लिए 51 फीसदी रेजिडेंट्स की मंजूरी ही काफी है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अनधिकृत इमारतों और झोपड़ पट्टियों के निवासी योजना को मंजूरी देंगे और इसके तहत सरकारी आवासों में रहने वाले 40 प्रतिशत नागरिकों को योजना शामिल होना पड़ेगा।
योजना की वर्तमान स्थिति
कुल 1 हजार 509 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ ठाणे के विभिन्न हिस्सों की 44 शहरी पुनर्निर्माण योजनाएं है। इनमें से 44 योजनाओं में से 12 को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। जोकि लोकमान्य नगर, कोपरी, किसन नगर, राबोडी, टेकड़ी बांग्ला, हजूरी, आजाद नगर, गोकुल नगर, महागिरी, चरई, सिद्धेश्वर क्षेत्र और थाना क्षेत्र में योजनाओं को स्वीकृति शामिल है।
इन इलाकों में सर्वे का काम पूरा
इस योजना का उद्घाटन कुछ साल पहले मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के किसन नगर, हजूरी इलाकों में सर्वेक्षण का काम पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा दिवा इलाके में सर्वे का काम शुरू हुआ।
बीजेपी ने जताया विरोध
राज्य के नगर विकास विभाग द्वारा लादे जा इस जीआर को लेकर भाजपा के विधायक संजय केलकर ने विरोध जताया है। केलकर ने कहा कि वैध इमारतों पर क्लस्टर योजना थोपना दमनकारी है। यदि इस तरह की बिल्डर उन्मुख नीति का पालन किया जाता है तो पुनर्विकास का इंतजार कर रहे निवासियों को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इस जीआर के विरोध में सड़कों पर उतरने की चेतावनी भी दी।