Jalkumbhi Ulhas River

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कमर काजी@नवभारत
बदलापुर: ठाणे जिले के 50 लाख से भी अधिक नागरिकों की प्यास बुझाने वाली उल्हास नदी में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है और अब देखा जा रहा है कि उल्हास नदी के पानी में बड़ी मात्रा में सैकड़ों मीटर तक जलकुंभी पांव पसार चुकी है, एक तरह से नदी में पानी नहीं बल्कि जलकुंभी ही नजर आ रही है। इससे पानी के दूषित होने की संभावना बढ़ती जा रही है। 

दूषित पानी पीने को मजबूर जनता
बदलापुर शहर से होकर बहने वाली उल्हास नदी जब एरंजाड़-वालिवली के निकट पहुंचती है तो वहां जलकुंभी पानी को कवर कर चुकी है। जब बरसात के मौसम से पहले इस पानी की पत्ती को हटाने की जरूरत है तो संबंधित प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उल्हास नदी की पहचान ठाणे जिले की जीवन रेखा के रूप में की जाती है। पानी का यह नदी प्रमुख स्रोत है और जिले के अधिकांश शहरों में इसी से जल आपूर्ति की जाती है। इस नदी का उगम  पुणे जिले के आंध्रा बांध से छोड़े जाने वाले पानी से होता है। अंबरनाथ व बदलापुर को 90 फीसदी पानी यही नदी देती है। बदलापुर में नदी के किनारे बने बैराज बांध से पानी उठाया जाता है। उसके बाद पानी की आपूर्ति बदलापुर और अंबरनाथ शहर को की जाती है। इसके अलावा बारवी बांध से भी इसी नदी में पानी छोड़ा जाता है। इसे जांबुल, शहाड में रोका जाता है और जिले में आपूर्ति की जाती है और जबकि यह नदी उल्हासनगर शहर से होकर बहती है, यहां भी मोहने में नदी के पानी को रोक दिया जाता है और पानी को लिफ्ट किया जाता है। जिले के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस उल्हास नदी का प्रदूषण पिछले कुछ सालों में बढ़ता जा रहा है। 

सीवेज नदी में बहाया जाता है
शहर और गांवों का सीवेज नदी में बहाया जाता है। कुछ औद्योगिक इकाइयां अवैध रासायनिक अपशिष्ट जल नदी में छोड़े जाने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। इस सारे प्रदूषण के कारण उल्हास नदी तल में जलीय जीवन घट रहा है। चार साल पहले, उल्हास नदी से इस जलीय पौधे को हटाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा सगुना ग्रामीण फाउंडेशन को बुलाया गया था। उनके द्वारा किए गए उपाय से जलपर्णी नष्ट हो गयी थी, लेकिन सीवेज का पानी नदी में मिलना बंद नहीं हुआ। इससे नदी एक बार फिर जलकुंभी के संकट से जूझ रही है। इसके लिए मानसून से पहले समाधान योजना बनाने की जरूरत है, क्योंकि भारी बारिश के कारण उल्हास नदी में बाढ़ आ जाती है। इसलिए इस साल भी नदी किनारे के ग्रामीणों ने इस समस्या को लेकर नाराजगी जताई है। 

आश्वासन के बावजूद नहीं हुआ काम
जब इस संदर्भ में पत्रकारों ने नपा के मुख्याधिकारी योगेश गोडसे से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा था कि, हालांकि बदलापुर से गुजरने वाली उल्हास नदी में जलकुंभी है. लेकिन हमारे नगर पालिका प्रशासन के पास अभी भी जलकुंभी को हटाने के लिए आवश्यक व्यवस्था नहीं है। उल्हासनगर शहर के कल्याण ग्रामीण के एक छोर से भी यह नदी बहती है और वहां भी पानी अवरुद्ध  होता है। इसलिए जल्द ही उल्हासनगर मनपा व अंबरनाथ नपा को सूचित किया जाएगा और जल्द ही दोनों नगर पालिकाओं और बदलापुर नगर पालिका प्रशासन की मदद से पानी को कवर कर चुकी जलकुंभी  बेल को हटाने का काम शुरू किया जाएगा। 

स्वच्छ भारत मिशन को मुह चिढ़ाती जलकुंभी
जानकारों का मानना व  कहना है कि पानी की सतह पर जलकुंभी फैलने से इस पानी का इस्तेमाल करने पर स्वास्थ्य और जलीय जीव जंतु के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इस पत्ती के कारण मच्छरों का प्रजनन बढ़ गया है। जहां सरकार स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छ राज्य मिशन चरण 2 के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं उल्हास नदी की सफाई को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। जल संसाधनों को नष्ट किया जा रहा है। सरकार ने नदी तल से रेत निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासनिक तंत्र, नगर पालिका को मिलकर नदी तल की सफाई के प्रति जागरूक होना चाहिए। प्राकृतिक जल संसाधनों का इस प्रकार ह्रास उचित नहीं है। इस गंभीर समस्या का तत्काल निदान किए जाने की मांग को लेकर प्रधान सचिव, एमपीसीबी, जिलाधिकारी, तहसीलदार को लिखित आवेदन दिए है।