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    कल्याण: मुख्य रूप से कल्याण नगर परिषद और डोंबिवली नगर परिषद को मिलाकर 1 अक्टूबर 1983 को अस्तित्व में आई कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (Kalyan-Dombivli Municipal Corporation) में आज अधिकतर शहरीकरण हो गया है। विभिन्न विकासकों के द्वारा कई भव्य आवासीय संकुलों का निर्माण किया गया है और किया जा रहा हैं। महानगर का रूप ले चुका कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका क्षेत्र में कल्याण (Kalyan), डोंबिवली (Dombivali), कोपर (Kopar), ठाकुर्ली (Thakurli), विठ्ठलवाड़ी (Vithalwadi), शहाड (Shahad), अंबिवली (Ambivali) और टिटवाला (Titwala) कुल 8 रेलवे स्टेशन होने से काफी हद तक नागरिक लोकल से सफर करते हैं। अपने निजी वाहनों से आवागमन करने वाले लोगों को सड़कों की हालात सही नहीं होने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जबकि सड़कों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए 360 करोड़ की निधि आई है। फिर भी  क्षेत्र में सड़कें नहीं बनी है। इसका मुख्य कारण एक साल से महानगरपालिका में  कोई लोकप्रतिनिधि अस्तित्व में नहीं होने से प्रशासन पर कोई दबाव नहीं है, पूरी कमान कमिश्नर के हाथों में हैं।

    शहर अभियंता के अनुसार, केडीएमसी क्षेत्र में कुल 440 किलोमीटर सड़कें हैं जिनमें 375 किलोमीटर पक्की सड़क है इसमें से 47.50 किलोमीटर सड़क अन्य सड़क प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में हैं। केडीएमसी को उक्त सड़कों के आरसीसी निर्माण के लिए सरकार द्वारा 360 करोड़ की निधि दी गई है  फिर भी अधिकतर सड़कों की हालत बदहाल बनी हुईं हैं।

    बहुत ही धीमी गति से हो रहा विकास कार्य

    केडीएमसी में लोकप्रतिनिधियों का कार्यकाल पिछले साल 11 नवंबर को ही समाप्त हो गया है पिछले एक साल से महानगरपालिका में कोई लोकप्रतिनिधि पदाधिकारी नहीं है।  जैसे पद पर रहते हुए महापौर,उप महापौर,स्थायी समिति सभापति,सभागृह नेता,विरोधीपक्ष नेता के साथ ही प्रभाग समितियों के सभापति और नगरसेवक पद पर रहते हुए विकास कार्यो के लिए प्रशासन पर जो दबाव बनाते थे और उनका दबाव रहता था वह अब महानगरपालिका प्रशासन पर दबाव नहीं हैं। महानगरपालिका की पूरी कमान कमिश्नर के हाथों में हैं। जिससे जैसे प्रशासन चाहेगा उसी तरह कार्य करेगा प्रशासन के पास कोरोना का भी बहाना है। जिससे विकास कार्य कछुआ की चाल से चल रहा हैं।

     बरसात में अक्सर सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं

    केडीएमसी क्षेत्र वालधुनी नदी, उल्हास नदी, कालू नदी और कल्याण समुद्र खड़ी से घिरा हुआ है, यानी लगभग 60% महानगरपालिका  क्षेत्र खाड़ियों और नदियों से घिरा हुआ है।  समुद्र तल से औसत ऊंचाई 4.50 मीटर है और कुछ भाग समुद्र तल से ठीक ऊपर है। जिन 27  गांवों को पहले महानगरपालिका क्षेत्र से बाहर रखा गया था और बाद में महानगरपालिका क्षेत्र में ले लिया गया वे अविकसित या नियोजित तरीके से विकसित नहीं हुए हैं। अधिकांश सड़कें पक्की हैं और इसके नीचे बारिश के नाले नहीं हैं।  इसलिए बारिश का पानी ठीक से नहीं निकल पाता है। वहीं बरसात के मौसम में अक्सर सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। केडीएमसी की विकास योजना वर्ष 1996 में प्रकाशित हुई थी और इसे सरकार द्वारा चरणवद्ध  अनुमोदित किया जाता रहा। महानगरपालिका ने सरकार के सहयोग से शहर की प्रमुख सड़कों को कांक्रीटीकरण किया है। मगर अभी भी कई सैकड़ों का निर्माण किया जाना है। फिलहाल सरकार ने महानगरपालिका के 122 प्रभाग क्षेत्र में विभिन्न सड़कों की आरसीसी के लिए 360 करोड़ रुपए की एक बड़ी राशि प्रदान की है। 

    सड़कों की हालत खराब

    केडीएमसी क्षेत्र की मुख्य सड़कों में कल्याण शिल रोड, कल्याण मलंग गढ़ रोड, गोविंदवाड़ी बाईपास, कल्याण में पुराना आगरा रोड   नेरुरकर रोड, डॉ। राजेंद्र प्रसाद रोड, शिवमंदिर रोड, टाटा लाइन रोड, पांडुरंगवाड़ी रोड, मॉडल इंग्लिश स्कूल रोड, एम.डी. ठाकुर रोड, देसालेपाड़ा रोड गार्जियन स्कूल के सामने, कल्याण शील रोड से संदीप उसरघर रोड, गांव  देवी मंदिर से बामनदेव मंदिर रोड, तिलक रोड, नेहरू रोड, वी.पी.  रोड, भगत सिंह रोड, छेदा रोड, संत नामदेव पथ, सावरकर रोड, गणेश मंदिर रोड, पाथरली रोड, खंबलपाड़ा रोड, बालाजी मंदिर रोड, आगरकर रोड, शिवाजी शेलार रोड, कल्याण-मुरवाड रोड आदि  सड़कों में से अधिकतर सड़कों की हालत खस्ता बनी हुई है जिससे नागरिकों को आवागमन में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।