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मुंबई. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को कहा कि संभव है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने ”वंशवादी राजनीति” के संभावित आरोपों से बचने के लिये अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया हो। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि लोकसभा सदस्य सुले और पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना, पवार द्वारा वरिष्ठ और नये नेताओं के बीच संतुलन बनाने वाला कार्य है।

सामना के मुताबिक, “पवार ने अपनी बेटी के साथ-साथ प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। उन्होंने राकांपा में पुराने और नये नेताओं के बीच संतुलन बनाने के लिए ऐसा किया।” संपादकीय में यह भी कहा गया है कि राकांपा पहले ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो चुकी है।

संपादकीय के मुताबिक, “शरद पवार ने कहा था कि देश की विशालता के कारण दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। लेकिन किसी अन्य क्षेत्रीय दलों ने ऐसी नियुक्तियां नहीं की हैं। यह सच हो सकता है।”

पिछले महीने पवार द्वारा राकांपा प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा और बाद में फैसला वापस लेने का जिक्र करते हुए सामना ने कहा कि यह स्पष्ट था कि सुले को पार्टी की बागडोर दी जायेगी।

सामना ने कहा, “लेकिन प्रफुल्ल पटेल को एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करके पवार क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं? सुले की नियुक्ति के साथ राकांपा में वंशवाद की राजनीति के आरोपों से बचने के लिए पटेल को आगे बढ़ाया जा सकता है।”

संपादकीय में कहा गया है कि नयी दिल्ली में राकांपा की बैठक में लिये गए ताजा फैसलों में अजित पवार को कोई नयी जिम्मेदारी देने का जिक्र नहीं है।

सामना ने कहा, “अफवाहों के मुताबिक, अजित पवार निराश हैं। लेकिन वह महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण हैं और वह राज्य के बाहर काम करने के इच्छुक नहीं हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि अजित पवार राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं और उनके करीबी विधायकों का एक धड़ा भारतीय जनता पार्टी के प्रति नरम बताया जाता है। (एजेंसी)