Shiv Sena Pravesh

  • राकां के पूर्व विधायक कांग्रेस की राह पर

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हिंगनघाट (सं). लाकडाउन में रियायत मिलते ही शहर की राजनीति में उथल पुथल आरंभ हो गई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस के पूर्व विधायक और प्रदेश सचिव प्रा़ राजू तिमांडे ने कांग्रेस का दामन थामने की चर्चा शहर में चल रही थी की सोमवार को अचानक भाजपा के 10 वर्तमान व 2 पूर्व पार्षदों ने मुंबई जाकर शिवसेना का दामन थामा, जिससे जिले की राजनीति में खलबली मच गई है. इस घटनाक्रम के चलते भाजपा खेमे में चर्चाओं का बाजार गरमाया है.

नगर परिषद में बहुमत के साथ भाजपा की सत्ता है. परंतु गत कुछ माह से सदस्यों में नाराजगी थी. बीजेपी के 10 विद्यमान तथा 2 पूर्व नगरसेवकों ने शिवसेना के जिला संपर्क प्रमुख अनंत गुढे के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के वर्षा निवास स्थान पर प्रवेश लिया़ सत्तापक्ष में होने के बावजूद भी नगरसेवकों कोई बात नहीं सुनता था, ऐसा उनका कहना है.

इस संदर्भ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अवगत करने के बाद भी किसी ने सुध नहीं ली, जिससे नगरसेवकों ने यह निर्णय लेने की जानकारी है. नागरिकों के काम समय पर न होने, स्मार्ट सिटी, अमृत योजना के चलते नगरसेवकों को नागरिकों के रोष का सामना करना पड़ता था.

पार्टी बदलने से भाजपा को जोर का झटका 

शहर में होने वाले कार्यक्रमों की किसी भी प्रकार की जानकारी नगरसेवकों नहीं दी जाती थी, जिससे उन्होंने अपना एक गुट बनाया था. विधायक कुणावार और उनके करीबी कुछ नगरसेवकों के बीच ही सब कार्यक्रम होते रहे है़ं  इन सब बातों की वजह से उनमें असंतोष पनप रहा था. आने वाले 6 माह में पालिका चुनाव होने वाले है़  इस स्थिति में किस मुंह से लोगों के सामने जाएंगे, यह सवाल खड़ा होने से अब उन्होंने पाला बदल कर भाजपा को जोर का झटका दिया है.  

शिवसेना में शामिल होनेवाले नगरसेवक

शिवसेना में प्रवेश लेने वाले पार्षदों में सतीश धोबे, नीता धोबे, चंद्रकांत घुसे, मनीष देवढे, सुरेश मुंजेवार, मनोज वरघने, नीलेश पोगले, भास्कर ठवरी, सुनीता पचोरी, संगीता वाघमारे, प्रतिभा पड़ोले, देवेन्द्र पड़ोले का समावेश है़  इसमे 10 वर्तमान में नगरसेवक है तथा 2 पूर्व नगरसेवक है़  जानकारी के अनुसार और 4 नगरसेवक शिवसेना की राह पर होने की जानकारी है़  नगर परिषद के कुल 38 सदस्यों में भाजपा के 28 सदस्य है. राष्ट्रवादी कांग्रेस के 4 तथा सेना का सदस्य व निर्दलीय 4 सदस्य शामिल है.

स्वार्थसिद्धी साधने वाले छोड़कर गए 

जो नगरसेवक पार्टी छोड़कर गये है, उनका पार्टी बदलने का काम रहा है. अपने स्वार्थ के लिये किसी भी पार्टी में जा सकते है. भाजपा में भी अन्य पार्टी से बगावत कर आये थे. उन्हें आने वाले चुनाव में टिकट नहीं मिलने की उम्मीद थी, जिससे वे पार्टी छोड़कर चले गये.उ नके जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा.

-समीर कुणावार, विधायक-भाजपा.