वर्धा. कारंजा वनपरिक्षेत्र में बाघ के बढ़ते हमलों से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है़ ग्रामीण व कुछ संगठनों ने तीव्र आंदोलन करके बाघ को पकड़ने की मांग की थी़ आखिरकार वन विभाग को वरिष्ठस्तर बाघ को पकड़ने की अनुमति प्राप्त हो चुकी है़ फलस्वरुप जंगल परिसर में वन विभाग ने पिंजरा लगाकर बाघ की सरगर्मी से खोजबिन शुरू कर दी है.
कारंजा वन परिक्षेत्र के बांगडापुर में बाघ के हमले में गोपालक की मौत हुई थी़ इसके दूसरे दिन बाघ ने बैल को शिकार बनाया़ यहीं नहीं तो जंगल से सटे कुछ गांवों में बाघ ने आतंक मचा रखा था़ इससे गुस्साए ग्रामीणों ने दो बार रास्ता रोको आंदोलन किया़ अनेक संगठनो ने भी बाघ को पकड़ने के लिये पिंजरा लगाने की मांग की़ इन सभी बातों को ध्यान में रखकर वन विभाग ने वरिष्ठ स्तर पर पिंजरा लगाकर बाघ को पकड़ने की अनुमति के लिये पत्र भेजा था़ अंतत: वन्यजीव संरक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने इसके लिये अनुमति देने की जानकारी है.
अब वन विभाग बीटीआर-7 को पकड़ने में जुटा हुआ है़ इसके लिये वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में वनकर्मियों की टीम जंगल परिसर छान रहा है़ युध्दस्तर पर बाघ की खोजबिन जारी है़ परंतु कुछ दिनों से बाघ के दर्शन न होने की जानकारी है़ वन विभाग के सूत्रों के अनुसार बाघ अपना नैसर्गिक अधिवास वाले बोर व्याघ्र प्रकल्प में लौटने का अनुमान है.
जंगल में तेजी से चल रही खोजबिन
बाघ को पकड़ने के लिये वरिष्ठों से अनुमति प्राप्त हो गई है़ जंगल में पिंजरा भी लगाया गया है़ बाघ की तलाश में वन विभाग की टीमें जुटी हुई है.
-राकेश सेपट, DFO, वर्धा.